चन्द चेहरे जो, तमतमाए हैं।
आइने शाह को, दिखाये हैं। (1)
साजिशें देखना, हवाओं की,
आंधियों में, दिये जलाए हैं। (2)…
चन्द चेहरे जो, तमतमाए हैं।
आइने शाह को, दिखाये हैं। (1)
साजिशें देखना, हवाओं की,
आंधियों में, दिये जलाए हैं। (2)…
बढ़िया है... भई...बढ़िया है...
तेरे नेता देश लूटते, देश भक्त मेरे नेता,
सबका अपने नेताओं के, बारे अलग नजरिया है।
बढ़िया है...भई... बढ़िया ह…
तुम पब्लिक हो, इंतजार करो...
हम रामराज्य ले आएँगे, हमपे केवल एतबार करो
तुम पब्लिक हो, इंतजार करो.....
तुम भोली- भाली जनता हो, भारत में तुम्हारा ख…
गरीबी से परेशान,
था एक किसान।
न पैसे, न बेंचने को,
था कोई सामान।
दो गायें थी उसकी,
कुल जमा पूंजी।
इनके सिवा संपत्ति,
हर कीमत पर जो बिकने को, बैठे हैं बाजारों में।
भ्रस्टाचार वो ढूंढ रहे हैं, औरों के किरदारों में।
जिनको हम समझे थ…
हम उनका कहना तो, हर बार मान लेते हैं.
जो झूठे वादों से, हम सबकी जान लेते हैं.
कहा था जनता के, खाते में पैसे आयेंगे,
वो नोट बन्द…
दर्द होता रहा, छटपटाटे रहे,
भ्रष्ट सिस्टम से हम, चोट खाते रहे.
फूल जन्माष्टमी पर, चढ़ाये बहुत,
फूल गुलशन के बस, मुरझाते रहे.…
आजकल के मुद्दों पे, बातें मना है।
क्योंकि ये सरकार की, आलोचना है।
मर गये सैनिक, तो जी डी पी घटेगी?,
कृषकों के मरने से…
उनके वादों का कभी, हिसाब नहीं मिलता।
सवाल तो बहुत हैं, पर जबाब नहीं मिलता।
जो भी विपक्ष में हैं, बस वो ही भ्रष्टाचारी,…
वो चिंता पे चिंता, किये जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे, जिये जा रहे हैं।
महंगाई पे चिंता, बेगारी पे चिंता,
व्यापारी की चिंता, चुनावों की चिंता,…
यूँ तो मयखाने से, हम दूर बहुत रहते हैं।
तेरे नशे में मगर, चूर बहुत रहते हैं।
हम तो फौलाद को भी, मोम बना सकते हैं,
इश्क की राह म…
वो मेरे कत्ल का, सामान लिए फिरता है।
सिर्फ हिंदू, या मुसलमान किए फिरता है।
जवानियों में, वो ढूँढे हसीन कातिल को ।
अपने …
उनकी नजरों का जब से, इशारा हुआ।
दिल मुहब्बत का तब से, है मारा हुआ।
बस यही एक दौलत, कमाई थी जो,
अब ये दिल बेवफा भी, तुम्हारा हुआ।…
होली, ईद, दिवाली बस, मनती है जज़्बातों में
हम चैन की नींद तभी सोते हैं, जब जागते हैं वो रातों में।
ठंडी, गर्मी या बारिश हो, जो लड़ते हर हालातों में,…
इस आशिकी में हाल जो, दिल का हुआ, हुआ।
मत पूँछिये मुझसे कि, मुहब्बत में क्या हुआ।
ताउम्र चलेगी ये, गमे इश्क की दौलत;
खायें…
लाचार सी , मायूस, नजर देख रही है।
मिलती जिधर मदद है,उधर देख रही है।
एक दूसरे पे थोप के, इल्जाम पे इल्जाम;
हर मुद्दे से
यह कैसा है लोकतन्त्र?
कैसा यह जनता का राज
सहमी-सहमी जनता सारी
कैसा है ये देश आजाद ?
जनमों के दुश्मन कुर्सी हित…
बारी -बारी देश को लूटें, बनी रहे अपनी जोड़ी।
तू हमरे जीजा के छोड़ा, हम तोहरे जीजा के छोड़ी।
एक सांपनाथ एक नागनाथ, एक अम्बेदकर लोहियावादी,…
किस काम जवानी है, जो ज़ुल्फों में ना उलझे,
और हुस्न के फंदे में जो, जकड़ा ना गया हो।
पानी से भी कमतर है, वो खून जिस्म का
से…
आँखों में नहीं, दिल में, उतर जाएँ कभी तो
दरवाजे खुले हैं, वो इधर आयें, कभी तो ।।
मुमकिन नहीं है, मंजिले पाना तो क्या हुआ?…
Very nice 👍👍
Jabardast
Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up
बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष
अति सुंदर
व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!
Amazing article 👌👌
व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....
Excellent analogy of the current state of affairs
#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन
एकदम कटु सत्य लिखा है सर।
अति उत्तम🙏🙏
शानदार एवं सटीक
Niraj
अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।
अति उत्तम रचना।🙏🙏
900092