मुंसिफ भी हो तुम्ही, और गुनहगार भी तुम्हीं।
तुम ही हो कार्पोरेट, और सरकार भी तुम्हीं।…
ये दिल तो बेकरार, बहुत देर तक रहा।
उनका भी इंतजार, बहुत देर तक रहा।
हम बेखुदी में ही रहे, जब व…
हम अपने प्यार का, उनको हिसाब क्या देंगे ?
सवाल ही जो गलत है, जवाब क्या देंगे ?
सारे मसले, बारी बारी लिया करो।
बस चुनावकी ही, तैयारी किया करो।
देशभक्ति कब तक बस, चमचागीरी से,…
जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ।
केवल फतह, फरेब से, हर बार नहीं होती।
खुद पे हो भरोस…
एक दूसरे को हिंदू , मुस्लिम जला रहे हैं।
हम आदमी ही आदमी का, मांस खा रहे हैं।
हर कीमत पर जो बिकने को, बैठे हैं बाजारों में।
भ्रस्टाचार वो ढूंढ रहे हैं, औरों…
उनकी नजरों का जब से, इशारा हुआ।
दिल मुहब्बत का तब से, है मारा हुआ।
बस यही एक दौलत, कमाई थी जो,…
इस आशिकी में हाल जो, दिल का हुआ, हुआ।
मत पूँछिये मुझसे कि, मुहब्बत में क्या हुआ।…
किस काम जवानी है, जो ज़ुल्फों में ना उलझे,
और हुस्न के फंदे में जो, जकड़ा ना गया हो।…
आँखों में नहीं, दिल में, उतर जाएँ कभी तो
दरवाजे खुले हैं, वो इधर आयें, कभी तो ।।
दिल में है किसके क्या? ये जताते नहीं हैं लोग !
होंठों पे दिल की बात भी, लाते नहीं हैं लोग !…
सियासत से नफरत, भले हो सभी को,
मगर हम सियासत, की ही बात करते हैं।
सजा के हैं काबिल, गुनहगार …
हम उनसे मुहब्बत का, इजहार ना कर पाए।
दिल में ही रही चाहत, एक बार ना कह पाए।
चाहा तो बहुत द…
शराफत देख बन्दों की, हुआ करतार सदमें में ।
वफ़ा का हश्र वो देखा, कि है एतबार सदमें में ।…
बाबा फूले ने राह दिखाई है।
गुलामगीरी सबकी छुड़ाई है।
राष्ट्रीयता आए ना सब में, …
निकल रही है महंगाई से, फाग में मुंह से झाग
डीजल गैस के दाम ने देखो, पकड़ लिया है आग…
फिर ......
इलेक्शन आ रहे हैं…
जिन अछूतों को कभी,
मानव नहीं समझा गया।
कुम्भ में उन भंगियों के, …
अपना संविधान है....
सबको गरिमा से जीने का,
हक देता संविधान है।
वर्ण-लिंग या जाति-धर्म सब,…
ना कोई एहसान चाहिए, अपना हक सम्मान चाहिए,
शिक्षा हमें समान चाहिए, शिक्षा हमें समान चाहिए।…
नफरत हिंसा फैला कर जो, देशद्रोह का काम कर रही।
रावण की औलादें हैं जो, राम को बस बदनाम कर रही।…
भेदभाव, अन्याय, उपेक्षा, कब तक यूं ही सहना है?
हे भारत के बहुजन बोलो, कब तक यूं चुप रहना है?…
फिर से.........
इलेक्शन आ रहे हैं।
जिन अछूतों को कभी,
मानव नहीं समझा गया।
कुम्भ में उन भंगियों…
बढ़िया है... भई...बढ़िया है...
तेरे नेता देश लूटते, देश भक्त मेरे नेता,
सबका अपने नेताओं के, बारे अलग नज…
दर्द होता रहा, छटपटाटे रहे,
भ्रष्ट सिस्टम से हम, चोट खाते रहे.
फूल जन्माष्टमी पर, चढ़ाये बहुत, …
वो चिंता पे चिंता, किये जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे, जिये जा रहे हैं।
महंगाई पे चिंता, बेगारी पे…
होली, ईद, दिवाली बस, मनती है जज़्बातों में
हम चैन की नींद तभी सोते हैं, जब जागते हैं वो रातों में।…
यह कैसा है लोकतन्त्र?
कैसा यह जनता का राज
सहमी-सहमी जनता सारी
कैसा है ये देश आजाद ?…
बारी -बारी देश को लूटें, बनी रहे अपनी जोड़ी।
तू हमरे जीजा के छोड़ा, हम तोहरे जीजा के छोड़ी।…
हिन्दुस्तान में हिन्दी का, आज हो रहा यह सम्मान
हिन्दी पखवाडे के अलावा, हिन्दी कभी ना आये ध्यान…
किसे चाहिए वैरागी ? हर दल मांगे, केवल दागी।
जिसके पास है पैसा-पावर, जनता उसके पीछे भागी।…
बटला पे रोई सोनिया, ये एहसान बहुत है।
शायद चुनाव क्षेत्र में, मुसलमान बहुत हैं।…
हालात कुछ एसे बनाए जा रहे हैं ।
कटघरे में राम लाये जा रहे हैं ।
ईमान जिसमें बाकी है, शूली पे वो चढ़े…