Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

उनकी नजरों का.......

उनकी नजरों का जब से, इशारा हुआ।
दिल मुहब्बत का तब से, है मारा हुआ।

बस यही एक दौलत, कमाई थी जो,
अब ये दिल बेवफा भी, तुम्हारा हुआ।

हमपे नजरें इनायत, तमन्ना यही,
दिल मुहब्बत में हमने, है हारा हुआ।

अब तो नजरों में उनकी, संवरना मुझे,
आईने में बहुत है, सँवारा हुआ।

उठते हैं उधर खुद-ब-खुद, ‘जानी’ मेरे कदम,
उनकी गलियों में, अपना गुजारा हुआ।

बस में नहीं रहा, अब तो मेरा ही दिल,
दिल ने देखा उन्हें, तो अवारा हुआ।

उनकी जुल्फों तले, अब कटे जिंदगी,
उम्र ख़्वाबों में अब तक गुजारा हुआ। 

Go Back

Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9

हमसे संपर्क करें

visitor

890911

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...