सारे मसले, बारी बारी लिया करो।
बस चुनावकी ही, तैयारी किया करो।
देशभक्ति कब तक बस, चमचागीरी से,
नेताओं से कुछ, गद्दारी किया करो।
पब्लिक वब्लिक क्या है, नारों की भूंखी,
इनको बस वादे, सरकारी किया करो।
गाय कटे या, नाम पे उसके लोग कटें,
तुम तो बस, पूजा-अफ्तारी किया करो।
लटके फांसी पर किसान, तो मरने दो,
तुम देशभक्ति के फतवे, जारी किया करो।
कौन लुटेरा खूनी जाने, कल संसद में बैठेगा,
गुण्डों की भी थोड़ी, खातिरदारी किया करो।
राष्ट्रवाद में देख तरक्की, चमचों की,
'जानी' भइया, दिल मत भारी किया करो।