बाबा फूले ने राह दिखाई है।
गुलामगीरी सबकी छुड़ाई है।
राष्ट्रीयता आए ना सब में,
जब ना जाति का भेद मिटे।
होगा ना संघर्ष सफल भी,…
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Blog posts : "कविता गजल "
बाबा फूले ने राह दिखाई है.........
जोगीरा सा रा रा रा रा … (होली स्पेशल) - 2024
निकल रही है महंगाई से, फाग में मुंह से झाग
डीजल गैस के दाम ने देखो, पकड़ लिया है आग
जोगीरा सा रा रा रा रा …
बेगारी सुरसा के मुंह सी, बढ़े यह…
अब तो जाग ससुर के नाती...
अब तो जाग ससुर के नाती...
निकला सूरज, रात है भागी।
अब तो जाग, ससुर के नाती।
पांच किलो गेहूं चावल की,
तुम मरते हो लाइन में।…
गुनहगार भी तुम्हीं..
मुंसिफ भी हो तुम्ही, और गुनहगार भी तुम्हीं।
तुम ही हो कार्पोरेट, और सरकार भी तुम्हीं।
जनता को कौन राह, दिखाएगा आजकल,…
फिर इलेक्शन आ रहे हैं…
फिर ......
इलेक्शन आ रहे हैं…
जिन अछूतों को कभी,
मानव नहीं समझा गया।
कुम्भ में उन भंगियों के,
पाँव धोये जा रहे हैं।
फि…
कौन मरेगा, फिक्स है............
जला पसीना ईंट पकाया,
छेनी से भगवान बनाया।
मन्दिर मस्जिद बन जाने पर,
जो अंदर भी ना जा पाया।
किसके छूने पर भगवन को,…
अपना संविधान है.... (संविधान दिवस पर )
अपना संविधान है....
सबको गरिमा से जीने का,
हक देता संविधान है।
वर्ण-लिंग या जाति-धर्म सब,
उसके लिए समान है।
वैज्ञानिक चेतना बढ़ाए…
बहुत देर तक रहा.....
ये दिल तो बेकरार, बहुत देर तक रहा।
उनका भी इंतजार, बहुत देर तक रहा।
हम बेखुदी में ही रहे, जब वो चले गए,
ख़ुद पर न अख़्तियार, बहुत देर तक रहा।…
पहली शिक्षक सावित्री माई...
शिक्षा देने की खातिर भी,
जिसने लड़ी लड़ाई
शिक्षा की देवी, पहली,
शिक्षक, सावित्री माई
भेदभाव और शोषण की,
जब लटकी थी तल…
सावित्री माई गीत
श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे हम
आज सावित्री माई को।
अंधकार अज्ञान मिटाने
लेकर चली पढ़ाई को।
सहा बहुत अपमान उपेक्षा
…शिक्षा हमें समान चाहिए…
ना कोई एहसान चाहिए, अपना हक सम्मान चाहिए,
शिक्षा हमें समान चाहिए, शिक्षा हमें समान चाहिए।
डेस्क बेंच पर एक पढ़े और दूजा रद्दी, टाट पर।…
हिसाब क्या देंगे ?
हम अपने प्यार का, उनको हिसाब क्या देंगे ?
सवाल ही जो गलत है, जवाब क्या देंगे ?
पिलाते हैं जो खुशी, नाप के पैमानों से,…
सारे मसले, बारी बारी लिया करो......
सारे मसले, बारी बारी लिया करो।
बस चुनावकी ही, तैयारी किया करो।
देशभक्ति कब तक बस, चमचागीरी से,
नेताओं से कुछ, गद्दारी किया करो।…
जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ....
जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ।
केवल फतह, फरेब से, हर बार नहीं होती।
खुद पे हो भरोसा और, जज्बा बुलंद हो,
उसको किसी मदद की, दरकार न…
लोग मरते रहे ....
लोग मरते रहे, छटपटाते रहे।
अपने-अपने मसीहा, बुलाते रहे।
वक्त ही ना मिला, उन मसीहाओं को,
और दरिंदे तो, लाशें बिछाते रहे।…
हम आदमी ही आदमी का, मांस खा रहे हैं....
एक दूसरे को हिंदू , मुस्लिम जला रहे हैं।
हम आदमी ही आदमी का, मांस खा रहे हैं।
है कौन बड़ा दोषी, और कौन मसीहा है?
जब मिलक…
रावण की औलादें हैं जो........
नफरत हिंसा फैला कर जो, देशद्रोह का काम कर रही।
रावण की औलादें हैं जो, राम को बस बदनाम कर रही।
जय श्रीराम बोलकर जब, मुस्लिम की लाश बिछाता है।…
हे भारत के बहुजन बोलो..............
भेदभाव, अन्याय, उपेक्षा, कब तक यूं ही सहना है?
हे भारत के बहुजन बोलो, कब तक यूं चुप रहना है?
बहुजन को दास बनाने हित, ब्राह्मण ने वेद-पुराण रचा।…
हम भी लूटें, तुम भी लूटो.........
हम भी लूटें, तुम भी लूटो, लूटने की आजादी है।
सबसे ज्यादा वो लूटेगा, जिसके तन पर खादी है।
मंदिर-मस्जिद में उलझाओ, या लाखों के वादे दो,…
फिर से इलेक्शन आ रहे है।
फिर से.........
इलेक्शन आ रहे हैं।
जिन अछूतों को कभी,
मानव नहीं समझा गया।
कुम्भ में उन भंगियों के,
पाँव धोये जा रहे हैं। …
आपकी राय
Very nice 👍👍
Jabardast
Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up
बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष
अति सुंदर
व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!
Amazing article 👌👌
व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....
Excellent analogy of the current state of affairs
#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन
एकदम कटु सत्य लिखा है सर।
अति उत्तम🙏🙏
शानदार एवं सटीक
Niraj
अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।
अति उत्तम रचना।🙏🙏
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