वो चिंता पे चिंता, किये जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे, जिये जा रहे हैं।
महंगाई पे चिंता, बेगारी पे चिंता,
व्यापारी की चिंता, चुनावों की चिंता,
वो चिंता बराबर, किये जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे, जिये जा रहे हैं।
घटी है गरीबी, बेगारी घटी है,
भले ही बेगारों से, गलियां पटी हैं।
वो डेटा पे डेटा, दिए जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे, जिये जा रहे हैं।
तरक्की हुई खूब, खुशहाली आई,
विज्ञापनों में है, मुसकान छाई,
ये एलान हर दिन, किये जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे, जिए जा रहे हैं।
हवाई किले और, मुद्दे हवाई,
जनता के मुद्दे, पड़े ना दिखाई,
नये रोज वादे, किये जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे, जिये जा रहे हैं।
नए टैक्स हर दिन, लिए जा रहे हैं।
सुशासन पे भाषण, दिये जा रहे हैं,
ट्वीटर से शासन, किये जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे जिए जा रहे हैं।
जनता के मुद्दे पे, खामोश रहना,
सवालों पे केवल, जै हिंद कहना,
रेडियो पे मन की, किये जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे जिए जा रहे हैं।
हमारी उन्हें ख़ूब, चिंता है ‘जानी’,
चिंता में हम भी, बचाते हैं पानी,
बिना पानी के ही, पिये जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे, जिए जा रहे हैं।