इस आशिकी में हाल जो, दिल का हुआ, हुआ।
मत पूँछिये मुझसे कि, मुहब्बत में क्या हुआ।
ताउम्र चलेगी ये, गमे इश्क की दौलत;
खायेंगे सारी उम्र, तुम्हारा दिया हुआ।
हमने दुआ सलाम में, यूँ सर झुका दिया;
उसने समझ लिया कि, हमारा खुदा हुआ।
मिलने से पहले उनसे, थी खुशहाल जिन्दगी;
डूबा गमों में जब से वो, मिलकर जुदा हुआ ।
मदहोश थे मिलन में, जुदाई में बदहवास;
जाने वो हमसे कब मिला, और कब जुदा हुआ।
वो कहें तो जान भी, ये सोचकर मैं सौंप दूँ;
हक उनका मुझपे 'जानी', कुछ तो अदा हुआ।