फिर ......
इलेक्शन आ रहे हैं…
जिन अछूतों को कभी,
मानव नहीं समझा गया।
कुम्भ में उन भंगियों के,
पाँव धोये जा रहे हैं।
फिर इलेक्शन आ रहे हैं…
जो दलित-शोषित रहे हैं,
जाति से भी, धर्म से भी,
वोट की खातिर वो अब,
हिन्दू बनाये जा रहे हैं।
फिर इलेक्शन आ रहे हैं…
भूंख, बेगारी कोई मुद्दा
नहीं सरकार का।
रैलियों में, चीन-पाक,
फिर डराए जा रहे हैं।
फिर इलेक्शन आ रहे हैं…
सिर जवानों के कटे तो,
बस कड़ी निन्दा करें।
वोट की खातिर सहादत,
को भुनाये जा रहे हैं।
फिर इलेक्शन आ रहे हैं…
रैलियों में रो दिये,
पैर भी अब धो दिये,
सालों से तो यूं ही बस,
रोये-धोये जा रहे हैं।
फिर इलेक्शन आ रहे हैं…
स्वास्थ्य शिक्षा शून्य है,
पर धर्म, गर्व टाप पर।
बस्ते, स्कूलों के बदले,
कांवड़ घुमाए जा रहे हैं।
फिर इलेक्शन आ रहे हैं…
हिन्दू मुस्लिम रात दिन,
मंदिर मस्जिद रात दिन,
धर्म की रक्षा में फिर,
वोटर लड़ाए जा रहे हैं।
फिर इलेक्शन आ रहे हैं…
नफरतों के बीज बो कर,
वोट की फसलें खड़ी।
बस्तियां यूपी की हों, या,
मणिपुर जलाए जा रहे हैं।
फिर इलेक्शन आ रहे है…
स्वास्थ्य शिक्षा काम मांगो,
प्राथमिकता तय करो,
जनता बनकर प्रश्न हो,
भक्त बनकर मत मरो,
देख लो मुद्दे तुम्हारे,
क्या उठाए जा रहे हैं?
फिर इलेक्शन आ रहे हैं…
फिर इलेक्शन आ रहे हैं…