होली, ईद, दिवाली बस, मनती है जज़्बातों में
हम चैन की नींद तभी सोते हैं, जब जागते हैं वो रातों में।
ठंडी, गर्मी या बारिश हो, जो लड़ते हर हालातों में,
देशप्रेम सबसे ऊपर है, सारे परिवारिक नातों से ।
जिनको पहाड़ ना रोक सकें, दुश्मन को कुचलें लातों से,
हम एसे वीर सपूतों को, अब तक बहलाये बातों से।
वो, जो चुनाव में लड़ते हैं, बस अपनी जेबें भरते हैं,
सीमा पर लड़ने वाले तो, पेंशन के लिए भी मरते हैं।
इन नारेबाजों के मुँह में, सोने के चम्मच होते हैं।
जो देशभक्ति दिखलाते हैं, वो खाली पेट ही सोते हैं।
हर हालत में लड़ सकते हैं, जो दुश्मन की हर घातों से,
लेकिन कैसे लड़ पायेंगे, ‘उनके’ स्विस बैंक के खातों से।
जीवन अपना किया निछावर, मातृभूमि के नाम।
भारत माँ के जो प्रहरी हैं, इन वीर सपूतों को प्रणाम।