Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

गुनहगार भी तुम्हीं..

मुंसिफ भी हो तुम्ही, और गुनहगार भी तुम्हीं।

तुम ही हो कार्पोरेट, और सरकार भी तुम्हीं।

 

जनता को कौन राह, दिखाएगा आजकल,

तुम ही तो हो मशाल, अन्धकार भी तुम्हीं।

 

नफरत हो, फेक न्यूज़ हो, मुद्दों को दबाना,

मीडिया हो चौथा खंभा,अखबार भी तुम्ही।

 

कितना भी पाप, जुल्म बढ़े, राज में मगर, 

मेरे तो विष्णु, राम के, अवतार भी तुम्हीं।

 

मंदिर बना के गोड़से का, मान खुब करो,

और गाँधी बध करे तो, शर्मसार भी तुम्हीं।

 

हर रोज नया स्वांग धरो, करो मन की बात,

तुमही हो हुनरमंद और फनकार भी तुम्हीं।

 

ये ज्ञान हो, विज्ञान हो, इतिहास या कला,

दुर्घटना तुम्ही जानी, चमत्कार भी तुम्हीं।

 

Go Back

Comment

आपकी राय

फटाफट पेपर लीक हो रहे हैं और झटपट लोगों तक पहुंच जा रहे हैं खटाखट जनप्रति निधि माला माल हो रहे हैं निश्चित ही विश्व गुरू बनने से भारत को कोई माई का लाल रोक नहीं सकता।

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4

हमसे संपर्क करें

visitor

967996

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...