Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

Blog posts : "मित्र"

सब पुराने भरम मिटाने हैं

सब पुराने भरम मिटाने हैं 
गीत अब कुछ नए सुनाने हैं 
एक नए दौर की ये आहट है
अब नए रास्ते बनाने हैं

देखो कितनी बदल गई दुनिया…

Read more

जिसने सृष्टि बसाई.....

जिसने सृष्टि बसाई, लोग उनको बसाने लगे
कुछ लोग मिलकर, राम मंदिर बनाने लगे
अब फिर से राम जी, याद आने लगे
दौड़ दौड़ के पानी में, मीटिंग बुलाने लगे…

Read more

फर्ज

हिलती जमीन
टूटते घर
सैलाब में
बहते हुए
नगर के नगर । 
लाशों के ढ़ेर
चारों और अंधेर
टीवी वाले 
कुछ भी कहे
ये सब है लेकिन…

Read more

थोड़ा सा चाँद...

कई दिनों की
हाड़ – तोड़
मेहनत के बाद
पृथ्वी सिंह
अपने बेटे की
थाली में
रोटी का
एक
टुकड़ा देख
पाया है ।…

Read more

बेचारा चाँद !!!

पूर्णिमा की
पूरी रात
सरोवर के
किनारे
बैठी – बैठी
वो
रूपसी
पानी में
अपनी और
चाँद की
छवि देख,
चाँ…

Read more

5 blog posts

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9

हमसे संपर्क करें

visitor

900010

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...