बाबा फूले ने राह दिखाई है।
गुलामगीरी सबकी छुड़ाई है।
राष्ट्रीयता आए ना सब में,
जब ना जाति का भेद मिटे।
होगा ना संघर्ष सफल भी,
जब तक ना ये जाति छुटे।
नाई काटे बाल, ये उसका
धरम नहीं है, बस धंधा है।
पूजा पाठ कराना भी तो,
भक्ति नहीं, बस धंधा है।
इतनी बात ना जिसने जानी,
आँख है फिर भी अंधा है।
कर्मकाण्ड सब बने हुए हैं,
बस शोषण का फंदा है।
अंधभक्ति और शोषण से,
शिक्षा ने मुक्ति दिलाई है।
गुलामगीरी सबकी छुड़ाई है।
बिन शिक्षा के बुद्धि न आए,
नैतिकता ना ज्ञान बिना,
नैतिक बिना, प्रगति न होए,
व्यर्थ जनम, धन-धान बिना ।
सबकी उन्नति की खातिर,
शिक्षा की राह दिखाई है।
गुलामगीरी सबकी छुड़ाई है।
बाबा फूले ने राह दिखाई है।
गुलामगीरी सबकी छुड़ाई है