Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

ठंडा मतलब..... (व्यंग्य)

हमारे देश के लोग बहुत ही मतलबी होते हैं। अरे आप गलत मतलब निकाल रहे हैं, मतलबी का मतलब है, मतलब निकालने वाले ! यानि किसी बात का अर्थ समझने वाले। हमारे देश वासी, हर बात, हर घटना, हर चीज का अपना-अपना मतलब निकाल लेते हैं। केवल जनता ही नहीं, हमारे नेता, पत्रकार, बाबा, गुरु हो या गुरु घंटाल, सब अपना अपना अर्थ-अनर्थ निकालने, मतलब निकालने में माहिर होते हैं।

जब सरकार कहती है कि, ‘सीमा पर सैनिक अपनी जान कुर्बान कर रहे हैं ....’ तो जनता फौरन ये मतलब निकाल लेती है कि अब उसे भी कुर्बानी देने के लिए तैयार होना है। पेट्रोल-तेल-गैस के दाम बढ़ेंगे, या आटा- चावल- दाल से प्याज के आँसू रोने के लिए तैयार होना है। नेता जैसे ही बोलते हैं कि ‘अच्छे दिन आने वाले हैं…’ डेढ़ सयानी जनता तुरंत मतलब निकाल लेती है कि उनके अच्छे दिन आने वाले हैं, जबकि नेता, अपने लिए, अच्छे दिन आने वाले हैं, बोल रहे होते हैं। पर जनता तो नंबर एक मतलबी निकली, तुरंत अपना मतलब निकाल लेती है। वैसे ही जब एक स्वयंभू परम ईमानदार नेता ने कहा कि मेरे सत्ता में आने पर सारे मंत्री जेल में होंगें। जनता ने ये मतलब निकाला कि उनके सत्ता में आने पर विपक्षी भ्रष्ट मंत्री जेल में जाएंगे। लेकिन जब उनके ही दो मंत्री जेल गए, तब मतलब समझ आया कि वो अपने ही मंत्रियों की बात कर रहे थे।

वैसे जनता अब बहुत ज्यादा मतलबी...  आई मीन, मतलब निकालने वाली हो गई है। जब अदालतें किसी मामले की सुनवाई के समय आरोपी के लिए भयानक भयानक टिप्पणियाँ करने लगे, तो जनता तुरंत समझ जाती है कि आरोपी बरी होने वाला है। आरोपी की राहत के लिए फैसला, और बाकियों के लिए टिप्पणियाँ ..… । आप अपने मतलब के हिसाब से देख लीजिए। अदालती टिप्पनियों से आपका मतलब पूरा होता है कि अदालती फैसले से। अदालतों में सरकारों द्वारा बंद लिफ़ाफ़ों की....... आई मीन, बंद लिफ़ाफ़े में सौंपी गई सरकारी जानकारियों की सुनवाई का मतलब तो लोग खुद ही निकाल लेते हैं।

आजकल बाबा और प्रवचन करने वाले भी बहुत मतलबी… आई मीन, मतलब बताने वाले हो गए हैं। एक मंत्री ने बाबा तुलसी की चौपाई, ढोल गंवार सूद्र पशु नारी... को, नारी और सूद्रों के लिए अपमान जनक बताया, तो बाबाओं और टीवी एंकरों की फौज मैदान मे कूद पड़ी, ताड़ना का अर्थ बताने के लिए। और  ताड़ना का मतलब, शिक्षा देना होता है, ये बताने लगे। तो दूसरी तरफ के मतलबियों ने फिर पूँछा कि ढ़ोल को स्नातक की शिक्षा दी जाती है या परास्नातक की? उन्होंने इसका ये भी मतलब निकाला कि अब स्कूलों को ताड़नालय तथा शिक्षकों को ताड़क कहा जाएगा।

नेताओं-बाबाओं के इस मल्ल युद्ध... आई मीन, मतलब युद्ध में कूद पड़े इस किताब को छापने वाले प्रकाशक भी। उन्होंने इस जगह, यानि ढ़ोल गंवार … में ताड़ना का अर्थ शिक्षा देना छाप भी दिया। लेकिन दूसरे वाले भी कम मतलबी.....आई मीन, कम मतलब निकालने वाले थोड़े थे। उन्होंने प्रकाशक को दिखा दिया कि ‘‘सापत ताड़त परुष कहंता। बिप्र पूज्य अस गावहिं संता’’ मे तो ताड़त का मतलब दण्ड देना ही छपा है, तो फिर इसका क्या मतलब निकाला जाए?  समय समय पर मतलब निकालना, हमलोगों की एक सनातनी प्रक्रिया है, जब भी लोगों में तनातनी होती है, सब अपना अपना मतलब निकालने लगते हैं।

आजकल बहुत से नए नए मतलब मार्केट में घूम रहे हैं। जैसे आजकल डायन का मतलब सुंदरी हो गया है। इसलिए अब महंगाई डायन नहीं बल्कि प्रेमिका हो गई है। आजकल भ्रष्टाचार का मतलब देश सेवा हो गया है। जो अधिकारी कर्मचारी या नेता अभिनेता, बिजनेस मैन या कामन मैन, जितना ज्यादा भ्रष्टाचारी होता है उतना ही वो देशभक्ति की चाशनी में लपेटकर अपने को दिखाता है। हिंडनबर्ग ने अड़ानी जी की संपत्ति के एकाएक बढ़ने का मतलब भ्रष्टाचार निकाला, तो अडानी जी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का मतलब, देश पर हमला निकाला।

वैसे भी धर्म और देश कोई भी हो, सदाबहार खतरे में ही रहते हैं, एसा परम मतलबियों ने बताया है। कहीं लड़की के जींस पहनने का मतलब धर्म पर खतरा निकाला जाता है, तो कहीं दूसरे धर्म में शादी ब्याह का मतलब धर्म पर खतरा निकाला जाता है। आजकल सरकारों से सवाल पूंछने का मतलब देश-द्रोह या देश पर खतरा बताया जाता है। संसद में विपक्ष द्वारा सवाल पूंछने का मतलब होता है कि नेहरू की बातें खोद-खोद कर, उनको याद करना। लोग आजकल अपने ऊपर सवाल उठाने का मतलब, धर्म और देश को खतरे में डालना समझने लगे हैं। अब तक आप लोगों ने यह व्यंग्य पढ़ा, इसका मतलब आप भी ठंडा मतलब .... कोकाकोला ... समझने वाले मतलबी.... आई मीन, मतलब निकालने वाले समझदार व्यक्ति हैं। 

मनोज जानी

Go Back

Comment

आपकी राय

Dignified india ,youtube par aapka song _shiksha hame saman chahiye,dhoom machaya raha hai

Dignified India , youtube par aapkaa song _ dhoom macha rahaa hai.

बहुत ही सुंदर और सटीक व्यंग है

Very nice Explained by you the real Scenario of our Nation in such beautiful peom by Sh.Manoj Jani Sir. Hat's off to you.

एकदम सटीक और relevant व्यंग, बढ़िया है भाई बढ़िया है,
आपकी लेखनी को salute भाई

Kya baat hai manoj ji aap ke vyang bahut he satik rehata hai bas aise he likhate rahiye

हम अपने देश की हालात क्या कहें साहब

आँखो में नींद और रजाई का साथ है फ़िर भी,
पढ़ने लगा तो पढ़ता बहुत देर तक रहा.

आप का लेख बहुत अच्छा है

Zakhm Abhi taaja hai.......

अति सुंदर।

450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88

हमसे संपर्क करें

visitor

816687

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...