Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

क्या कहें साहब !!

हम अपने देश के हालात ! क्या कहें साहब !!
दिल में जलते हुये जज़्बात! क्या कहें साहब !!

इतने सालों की, जम्हूरियत का, हासिल क्या?
झूठे वादों की है सौगात ! क्या कहें साहब !!

इतने सालों में, बस मोहरे सी बनी है जनता,
ये सियासत की है बिसात! क्या कहें साहब !!

बच्चियाँ गर्भ में ही मार कर, नौरात्रि मनाएँ,
चढ़ती  दहेज  से बारात ! क्या कहें साहब !!

सिमट चुकी है शहर तक ही, तरक्की की चमक,
और गांवों की सियह-रात ! क्या कहें साहब !!

भूंख,  महँगाई,  भ्रष्टाचार, हर तरफ फैले,
ये सुलगते से सवालात! क्या कहें साहब !!

कहीं तो कर्ज तले, दब के किसान मरते हैं,
कहीं पैसों की है बरसात! क्या कहें साहब !!

अब शहीदों के तो, सब घर भी हड़प जाते हैं,
नेता, बाबाओं की औकात! क्या कहें साहब !!

 आज भी योग्यता को, जातियों से हम मापें,
सबकी पहचान बनी जात! क्या कहें साहब !!

सुनाऊँ चीख किसे, ‘जानी’ सभी बहरों में,
ना करें देश की हम बात! चुप रहें साहब !!

हम अपने देश के हालात ! क्या कहें साहब !!
दिल में जलते हुये जज़्बात! क्या कहें साहब !

 

Go Back



Comment

आपकी राय

Dignified india ,youtube par aapka song _shiksha hame saman chahiye,dhoom machaya raha hai

Dignified India , youtube par aapkaa song _ dhoom macha rahaa hai.

बहुत ही सुंदर और सटीक व्यंग है

Very nice Explained by you the real Scenario of our Nation in such beautiful peom by Sh.Manoj Jani Sir. Hat's off to you.

एकदम सटीक और relevant व्यंग, बढ़िया है भाई बढ़िया है,
आपकी लेखनी को salute भाई

Kya baat hai manoj ji aap ke vyang bahut he satik rehata hai bas aise he likhate rahiye

हम अपने देश की हालात क्या कहें साहब

आँखो में नींद और रजाई का साथ है फ़िर भी,
पढ़ने लगा तो पढ़ता बहुत देर तक रहा.

आप का लेख बहुत अच्छा है

Zakhm Abhi taaja hai.......

अति सुंदर।

450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0

हमसे संपर्क करें

visitor

816689

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...