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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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बीमार को अब जहर, पिला क्यों नहीं देते?

छिपकर  के दुश्मनों से,  कब तक रहोगे घर में
कुछ हम भी हैं  दुनिया को, दिखा क्यो नहीं देते
बीमार को अब जहर,  पिला क्यों नहीं देते?  

है तुमको अगर देश को, अब शान्त बनाना
तो पाक को फिर खाक, बना क्यों नही देते?
 बीमार को अब जहर,  पिला क्यों नहीं देते?

है देश से गर तुमको, गरीबी को मिटाना
सिर धड़ से गरीबो का, उड़ा क्यूँ  नही देते?
 बीमार को अब जहर,  पिला क्यों नहीं देते?

बनने का धनी तुमको, अगर है कोई सपना
बीबी-बहन को घर मे, जला क्यों नहीं देते?  
बीमार को अब जहर,  पिला क्यों नहीं देते?

है देश की जनसंख्न्या, अगर देश की दुश्मन
आतंकवाद को भी, बढ़ा क्यों नही देते?  
बीमार को अब जहर,  पिला क्यों नहीं देते?

वोटों की फसल बोनी है, मजहब से अगर तो,
फिर चर्च या मस्जिद को, गिरा क्यों नही देते?
बीमार को अब जहर,  पिला क्यों नहीं देते? 

करना हो कभी राज, अगर देश मे तुमको
भाई-से फिर भाई को, लड़ा क्यों नही देते?  
बीमार को अब जहर,  पिला क्यों नहीं देते?

 सुनने की सच्ची बात, अगर है नही शक्ति
‘जानी’ की जुबां को ही, कटा क्यों नहीं देते?
बीमार को अब जहर पिला, क्यों नही देते ?

बीमार को अब जहर,  पिला क्यों नहीं देते?

 

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Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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