हालात कुछ एसे बनाए जा रहे हैं ।
कटघरे में राम लाये जा रहे हैं ।
ईमान जिसमें बाकी है, शूली पे वो चढ़ेगा
कर्तव्यनिष्ठ या देशभक्त, बेमौत ही भरेगा
भ्रष्ट, कुपंथी, धन लोलुप ही
अब जन सेवक बताए जा रहे हैं। हालात कुछ ऐसे ------
नेता ने नैतिकपन छोड़ा, मानवता से नाता तोड़ा
भ्रष्टाचार आज बना हैं, बिन लगाम का घोडा
आदर्श राम का भूल चुके, पर, कुर्सी हित
कहीं मस्जिद-कहीं मंदिर बनाए जा रहे हैं। हालात कुछ...
गणतन्त्र तोड़ने की साजिश है, ये सब वतन परस्तों की
धर्म जाति ही अस्त्र बने हैं, सत्ता के आसक्तों की
बहुत शान से अब तो संसद में
कुर्सी-माईक चलाये जा रहे हैं । हालात कुछ ऐसे...
पूंजीपतियों की रक्षा है, निर्धन सब पुलिस हिरासत में
महंगाई, भुखमरी, बेगारी, निर्धन को मिली विरासत में
विषधर को दूध पिला रहे लोग,
केंचुए कंटियों में फंसाए जा रहे हैं। हालात कुछ ऐसे ---
सत्ता जिनके हाथों में, भूल चुके हैं जनता को
बिजली, रोटी, महंगाई से, लाचार आदमी मरता जो
घोटाले, परिवारवाद, पद लालच से
कभी ये, कभी वो, मंत्री बनाए जा रहे हैं।
हालात कुछ एसे बनाए जा रहे हैं ।
कटघरे में राम, लाए जा रहे हैं ।