उनकी नजरों का जब से, इशारा हुआ।
दिल मुहब्बत का तब से, है मारा हुआ।
बस यही एक दौलत, कमाई थी जो,
अब ये दिल बेवफा भी, तुम्हारा हुआ।
हमपे नजरें इनायत, तमन्ना यही,
दिल मुहब्बत में हमने, है हारा हुआ।
अब तो नजरों में उनकी, संवरना मुझे,
आईने में बहुत है, सँवारा हुआ।
उठते हैं उधर खुद-ब-खुद, जानी’ मेरे कदम,
उनकी गलियों में, अपना गुजारा हुआ।
बस में नहीं रहा, अब तो मेरा ही दिल,
दिल ने देखा उन्हें, तो अवारा हुआ।
उनकी जुल्फों तले, अब कटे जिंदगी,
उम्र ख़्वाबों में अब तक गुजारा हुआ।