Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

हार की समीक्षा।

चुनाव खत्म हो गए। जीतने वाले तो राज कर रहे हैं, हारने वाले हार की समीक्षा। वैसे भी जब से हारे हैं, नेता जी मीडिया से भी दूर दूर ही रहते हैं। पता नहीं कब कौन हार का कारण पूँछने लगे। इसलिए हार के काफी दिनों बाद नेताजी बाहर निकले हैं। हार की समीक्षा करने के लिए। आनन फानन सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक बुला ली। ब्रेन स्टार्मिंग शुरू हुई। सभी उपस्थित छोटे बड़े नेताओं ने अपना अपना अनुभव और कारण बताया।

      पहला कार्यकर्ता बोला- हमारे बड़े नेता आपसी टाँग खिंचाई और बड़बोले पन में चूर थे। उन्होने कभी जनता से जुडने या उनकी समस्याओं पर ध्यान देने की कोशिश ही नहीं किया। मन मर्जी प्रत्याशी बाहर से लाकर खड़ा कर दिया, जिसे जनता जानती भी नहीं थी। जिसने जनता के लिए कुछ किया भी नहीं था। तुरन्त एक हारे हुये बड़े नेता, जो आलाकमान तक की पहुंचवाले थे, ने इसका विरोध किया। बोले- जीतने वाले प्रत्याशी ने भी जनता के लिए कौन सा काम किया है। वह भी तो इस क्षेत्र के बाहर का है। हमारे कार्यकर्ताओं ने ठीक से जनता तक अपनी बात ही नहीं पहुंचाई। नहीं तो आलाकमान ने कितने गरीबों के घर खाना खाया और रात बिताई, जनता सब भूल थोड़े ही जाती।

      दूसरे कार्यकर्ता ने दूसरा कारण बताया- हमने जनता को भिखारी कहा। उसके आत्म सम्मान को ठेस लगी। उसे मजदूर और दूसरे प्रदेशों पर आश्रित कहा। इससे वह नाराज हो गयी। और हमको हरा दिया। हम खुद ही वोट की भींख मांग रहे थे। और जिससे वोट की भींख मांग रहे थे, उसे ही भिखारी कह रहे थे। एक दूसरे हारे हुए बड़े नेता ने टोका- तो हमारे आलाकमान ने गलत क्या कहा? बाईस सालों में दूसरी पार्टी के लोगों ने जनता को भिखारी बना दिया है, जनता को यह बात जाननी चाहिए। जिससे की वह हमारे कामों को याद कर सके।

      तीसरे कार्यकर्ता ने बीच में ही बात काटी। कौन से कामों को याद करे? घोटालों को? सच तो यह है कि हमने जनता से सिर्फ मांगा। उसे देने का कोई वादा नहीं किया। हमने पाँच साल मांगे। मगर बिजली दस साल बाद देने की बात की। लोग गुजारा भत्ता दे रहे थे, लैप टाप दे रहे थे, कंप्यूटर दे रहे थे, टैबलेट दे रहे थे, हमने मोबाइल तक भी देने का वादा नहीं किया।  हमने सिर्फ सोचने के लिए कहा कि, सोचो हमारे आने से और क्या क्या हो सकता है? जनता कैसे हमें वोट देती ? उसने सोच लिया की हमारे आने से सीडबल्यूजी, कामनवेल्थ, और टू जी जैसे और क्या क्या हो सकता है। इसलिए जनता ने हमें वोट नहीं दिया। एक बड़े नेता ने उसे रोका- तुम क्या जनता को लालची समझते हो ? हमने पहली बार सही बात कही। जनता ने नकार दिया। जनता सच सुनना ही नहीं चाहती।

      एक दूसरे बड़े नेता ने कहा, ‘हमने तो जीतने पर भगवान का मंदिर बनाने को कहा था। गाय देने की बात की थी। बाहर से नेता भी इम्पोर्ट किया, फिर भी जनता ने वोट नहीं दिया’। एक कार्यकर्ता ने टोका- ‘लेकिन जब हम सरकार में थे, तब हमने राम मंदिर बनाया नहीं। फिर जनता कैसे हमारा भरोसा करे। काठ की हाण्डी तो एक बार ही चढ़ती है। आप बार बार उसी को चढ़ाएँगे तो कैसे सरकारी खिचड़ी पकेगी ?’

      एक अन्य नेता ने कहा, ‘लेकिन हमने तो जनता के लिए पार्क बनवाया। जनता के स्वागत में हाथियाँ लगवाई। फिर भी जनता ने वोट नहीं दिया। एक कार्यकर्ता बोला- लेकिन आपने जनता को पार्कों में जाने लायक तो नहीं छोड़ा। सड़कों की हालत इतनी खराब हो गयी की पार्कों तक कोई जा ही नहीं पाया। ऊपर से दूसरी पार्टियों ने हल्ला मचा दिया की आपने सारा पैसा पार्कों में ही लगवाया।

      इसका मतलब जनता मूर्ख है जो हमारे कामों को नहीं देखती। सिर्फ प्रोपोगण्डा पर ही चलती है। एक बड़े नेता ने कहा तो सभी बड़े नेताओं ने एक साथ सहमति में सिर हिलाया कि जनता नासमझ है। हमको समझ नहीं पायी। वह हमारे कामों को देखती है, हमारी बातें नहीं सुनती। जनता अब लालची हो गयी है। लैप टाप और टैबलेट पर बिक गयी। बेगारी भत्ते के पीछे उसने अपना ईमान छोड़ दिया। इसलिए अब जनता हमारे काबिल नहीं रह गयी है। हमें अब नयी जनता ढूंढनी चाहिए। सभी नेताओं ने एक मत से निर्णय किया की अगले चुनाव में हर प्रत्याशी का चुनाव क्षेत्र बदल दिया जाएगा। हाँ प्रत्याशी नहीं बदलेंगे, क्योंकि कमी जनता में है। नेताओं में नहीं।  

Go Back

Comment

आपकी राय

Hello, its good post concerning media print, we all be familiar
with media is a great source of data.

It is the best time to make a few plans for the future and it's time to be happy.
I have read this publish and if I may I wish to recommend you
few attention-grabbing things or tips. Maybe you could write next articles regarding this article.
I wish to read more issues approximately it!

Hey! This is kind of off topic but I need some help from an established blog.
Is it tough to set up your own blog? I'm not very techincal
but I can figure things out pretty quick. I'm thinking about making my own but I'm not sure where to begin. Do you have any tips or suggestions?
Thanks

denticore Considering that I began making use of DentiCore, my dental check-ups have been a lot better.
My teeth are stronger, and my gums are healthier.
The natural formula is mild yet effective.
DentiCore is now a staple in my everyday regimen.

फटाफट पेपर लीक हो रहे हैं और झटपट लोगों तक पहुंच जा रहे हैं खटाखट जनप्रति निधि माला माल हो रहे हैं निश्चित ही विश्व गुरू बनने से भारत को कोई माई का लाल रोक नहीं सकता।

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc

हमसे संपर्क करें

visitor

1043742

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...