धुलना और धोना हम भारतीयों का जन्मसिद्ध अधिकार है। धोने और धुलने की कला का आविष्कार हम भारतीयों ने ही किया है और उसपे हमलोगों का ही कापीराइट है। दुनिया के लोग तो पानी या पेट्रोल से सफाई करते हैं, पर हम भारतीय, पता नहीं किस किस चीज से दूसरों को धोते हैं, साफ करते हैं। पुराने जमाने में लोग सफाई के लिए धुलते थे। आजकल लोग एक दूसरे को‘साफ’करने के लिए उनकी धुलाई करते हैं। जब हमारे देश में दूध की नदियाँ बहती थी, तब हमारे पूर्वज किसी साफ सुथरे आदमी को‘दूध का धुला’कहते थे।
इसके बाद एसा कलयुग आया कि एक डिटर्जेंट ने तो बाक़ायदा नारा दिया कि फलां पाउडर है तो‘दाग अच्छे हैं’। कलियुग के बाद डिटाल का सतयुग आया और लोग‘डिटाल के धुले’होने लगे। इसके लिए सरकार अपने उस मंत्री का इस्तीफा दिला कर, जिसके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप होता था, अपनी सरकार को‘डिटाल का धुला’कर लेती थी। लेकिन जैसे डिटाल, जलन करता है, वैसे ही यह डिटाल का धुला होना भी सरकार को दर्द देता था। इसलिए अब डिटाल का धुला होना ओल्ड फैशन हो गया है।
सरकार की बेहद माँग पर अब मार्केट में सेवलान आ गया है। धुलाई की धुलाई, मजे का मजा। बिना दर्द, बिना जलन। जनता से लेकर नेता तक सभी आजकल सेवलान से धुलने का परमानन्द ले रहे हैं। हींग लगे ना फिटकरी, रंग चोखा होय।‘सेवलान के धुले’महात्मा आजकल देश के कोने कोने में अवतरित हो चुके हैं। जो खुद को सेवलान से धुलने के बाद दूसरे पर कीचड़ फेंकने में उस्ताद हैं।
देश कि सबसे पहली सेवलान की धुली आत्मा, परम पूज्य अनशन बाबा के प्रिय भक्त केजरीवाल जी हैं। स्वयंभू, स्वप्रमाणित संत बाबा केजरीवाल जबसे सेवलान में डुबकी लगाकर बाहर आए हैं, तब से कांग्रेस और भाजपा को भ्रष्टाचार में गोते लगवा रहे हैं। सेवलान के धुले केजरी जी ने चुन चुन कर भाजपा और कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के जो रंग डाले कि उनको दिल्ली से ही साफ कर दिया।
लेकिन जैसे कहते हैं कि वह अकल किस काम की, जो नकल ना कर सके। तो कांग्रेस और भाजपा भी जल्द ही सेवलान से धुलने के गुर सीख गए। और इतना सीख गए कि बाबा केजरी को ही भ्रष्टाचार में डुबाने लगे। सेवलान ने नेताओं का काम इतना आसान कर दिया कि किसी पर कितना ही बड़ा भ्रष्टाचार का आरोप लगे, मैगी के दो मिनट की तरह, दो मिनट में सभी नेता सेवलान से धुलकर खुद को सबसे ईमानदार होने का सर्टिफिकेट देने लगते हैं।
आज हर पार्टी के पास विशाल सेवलान का भण्डार है। विरोधी पार्टी के भ्रष्ट नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करते ही सेवलान से धुला करके पाक-साफ कर देते हैं। फिर किसी जाँच, इंक्वायरी की जरूरत ही नहीं रह जाती। सारी राजनीतिक आत्माएं सेवलान का धुला होकर विधानसभाओं और लोकसभाओं में कैसे सुशोभित हो रही हैं।
ये तो मीडिया है जो इन महात्माओं पर भ्रष्टाचार का तिलक लगाकर उनकी‘कीर्ति’ फैलाते रहते हैं और‘दाग अच्छे हैं’का नारा देते हैं। वरना तो सेवलान के अच्छे दिन आ गए हैं। सेवलान के धुले ने कह दिया कि वह साफ-पाक है, ईमानदार है, वही बहुत है। इसकी जाँच के लिए सीबीआई, ए सी बी, या पुलिस को क्यों परेशान करना??? क्या हमारे सेवलान के धुले नेताओं पर हमें इतना भी भरोसा नहीं है कि उन्हे अलग से जाँच करवा के पाक-साफ होना पड़े? ये तो पक्का सेवलान के डिफेमेशन का केस बनता है।