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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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भरो रिटर्न, रहो प्रसन्न !!

क्या आप कमाते हैं? क्या आप मेहनत करके कमाते हैं? आप सरकारी नौकरी करते हैं,? अगर इनमें से किसी का भी उत्तर हाँ हो, तो आपका पहला फर्ज बनता है कि आप सरकार को टैक्स दें और रिटर्न भरें। अन्यथा केवल पैसा कमाने से ही आप प्रसन्न नहीं रह पायेंगे। अगर आप अपना फर्ज नहीं निभायेँगे, तो सरकार आप को छोड़ेगी नहीं। सभी कमाने वालों की जिम्मेदारी है कि टैक्स भरेन और अपने परिवार के साथ खुश रहें। इसी से सरकार और आप दोनों प्रसन्न रह सकते हैं।

      टैक्स भरना हर देशवासी की जिम्मेदारी है। टैक्स से देश का विकास होगा। अगर आप टैक्स नहीं देंगे, तो बड़ी –बड़ी योजनाएँ सरकार कैसे चलाएगी? किसानो के खेत हड़पकर वहाँ उद्योग कैसे लगाएगी। बड़े-बड़े ठेके देकर, अपना और देश का भला कैसे करेगी?

अगर आप टैक्स नहीं देंगे, तो हमारे नेता कोई काम कैसे करेंगे। इतनी हाई-प्रोफाइल नौटंकी, संसद में कैसे दिखेगी, जिसका प्रति मिनट का खर्चा ही लाखों का है। बेचारे नेता, संसद की कैंटीन से सस्ता खाना कैसे खा पाएगें। आप भले ही साठ रुपया किलो टमाटर खरीदें, मगर हमारे देश के नेताओं को तो चार रूपए में ही थाली मिलनी चाहिए। आखिर उन्हे देश चलाना है। आप को तो केवल घर चलाना है, इसलिए टैक्स जरूर दें।

      बिना टैक्स के, देश को विकसित करने के लिए सरकार सड़के कैसे बनाएगी? और अगर सड़के नहीं बनेगी, तो जनता सड़क पर कैसे आएगी? इसलिए टैक्स जरूर भरें। अगर टैक्स नहीं  भरेंगे, तो हमारे नेता-और मंत्री पाँच साल तक क्या करेंगे? प्रतिभा पाटिल जैसे कर्मयोगी राष्ट्रपति, विदेशी दौरे पर अरबों रूपये कहाँ से खर्च कर पाएँगी? हमारे नेता- मंत्री- अफसर  विदेशों की सैर कैसे करेंगे? आखिर बिना विदेश गए, देश का भला हो सकता है क्या? देश के गरीबों के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएँ विदेशों में बैठकर ही तो बनती हैं।

आपके टैक्स से ही तो सरकार देश में खेलों को बढ़ावा देती है। कामनवेल्थ गेम करवाकर, कैसे –कैसे खेल खेलती है। अगर सरकार के पास पैसे ही नहीं होंगे, तो सरकार करेगी क्या? आखिर सरकार को निठल्ले थोड़े ही बैठाना है। अगर आप चाहते हैं कि सरकार कुछ ना कुछ करती रहे, तो आप टैक्स जरूर भरें।

अगर आप टैक्स नहीं देंगे, तो नेताओं के लिए 20-20 लाख कि गाडियाँ कहाँ से आएंगी? अगर गाडियाँ नहीं होंगी, तो नेता क्षेत्र का दौरा कैसे करेंगे? यदि दौरा नहीं करेंगे तो क्षेत्र का विकास कैसे होगा?

अगर आप टैक्स नहीं देंगे तो अधिकारियों के लिए 35-35 लाख के शौचालय कैसे बनेंगे? आखिर जो जितना अधिक खाता है, उसके लिए उतना ही बढ़िया और बड़ा शौचालय भी चाहिए।   अब जनता को तो भरपेट भोजन भी नसीब नहीं होता, उसको शौचालय कि क्या जरूरत होगी?

अब आप ये ना सोचिए कि अगर आप टैक्स नहीं देंगे तो यह सब नहीं होगा। सरकार, बहुत ‘असर कार’ होती है। टैक्स तो वह आपसे ले ही लेगी। आपके हर काम पर टैक्स लगाकर। खाने-पीने से लेकर पेट्रोल- डीजल हर चीज पर टैक्स लगाकर। इसलिए अच्छा है खुशी से ही टैक्स देकर प्रसन्न रहें। मैं भी बंद करता हूँ लिखना, क्या पता इस पर भी टैक्स बढ़ रहा हो?

 

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Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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