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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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तरक्की हो रही है...

हमारा देश तरक्की की चक्की में, पिस रहा है। देश का विकास, आम आदमी को उदास कर रहा है। अब तो आम भी इतने महंगे होते जा रहे हैं कि कुछ दिन बाद लोग‘आम’आदमी होना भी अफोर्ड नहीं कर पायेंगे। जो आदमी मिलेंगे, वो बिना‘आम’ वाले आदमी होंगें। रोड के एक तरफ बड़े बड़े माल। तो दूसरी तरफ कटोरा पकड़े कंगाल। एक तरफ सरकार खाती है अन्ना‘नाश’। दूसरी तरफ जनता को एक बूँद पानी की प्यास। जनता फंस गयी है, पेट्रोल के दाम की चक्की में। देश बहुत आगे निकल गया है तरक्की में।

आजादी के वक्त हमने जमीन से शुरुआत की थी। अब हम आकाश में पहुँच गए हैं। शायद आप समझे नहीं। मेरा कहने का मतलब है कि 1948 में जीप घोटाले से शुरुआत हुई थी, 2013 आते आते हेलीकाप्टर तक पहुँच गए हैं। वैसे सबसे ज्यादा तरक्की हमने अगर की है तो वो हैं घोटाले। घोटालों में हमने हर देश को पछाड़ दिया है। किस्म-किस्म के घोटाले। हर साइज के घोटाले। आकाश हो या पाताल, सबमें घोटाले। जमीन से अंतरिक्ष तक घोटाले। यानी कि हेलीकाप्टर (आकाश) हो या कोयला खदान (पाताल), सबमें घोटाला। जीप, कामनवेल्थ (जमीन) से 2जी (अंतरिक्ष) तक घोटाले। भाजपा हो या कांग्रेस, सपा हो या बसपा, सबने बहती गंगा में हाथ धोये।

अब जाकर समझ में आया कि हमारे देश ने शून्य का आविष्कार क्यों किया था? सिर्फ शून्य की कोई कीमत नहीं होती। लेकिन किसी बिल या बाउचर में एक-दो शून्य बढ़ा दो, फिर देखो, घोटाला तैयार। फिर सीएजी चिल्लाएगी कि सरकार ने इतने करोड़ का घोटाला किया। और सरकार कहेगी कि सीएजी को ज्यादा जीरो (शून्य) लगाने का शौक है, और जनता शून्य में उलझकर शून्य हो जाती है।

आज घोटालों में तरक्की कि वजह से ही सरकारें बनती और चलती हैं। कभी सरकार बनाने में घोटाला, कभी सरकार बचाने में घोटाला। घोटाला ही शाश्वत सत्य है। हमारे यहाँ जब मन-रेगा, तभी घोटाला। ना मन-रेगा, तो भी घोटाला।

 हमारे देश ने घोटालों में इतनी तरक्की कर ली है कि, कालाधन-कालाधन चिल्लाने वालों का, सरकार मुँह काला करने में जुट जाती है। हमारे यहाँ लोग घोटाला करने में इतने तरक्की कर गए हैं, कि उन्होने ‘लोकपाल’ में ही घोटाला कर दिया। सरकार ने,‘सरकारी लोकपाल’में। और अन्ना टीम ने‘जन लोकपाल’में।

इटली, कहने के लिए भले ही तरक्की कर चुका देश हो, लेकिन हमारे देश के आगे अभी बहुत पिछड़ा है। वहाँ के लोग इतने बेवकूफ और पिछड़े होते हैं, कि पैसा देकर भी घोटाले में फंस जाते हैं। लेकिन हमारे देश का छोटा सा कर्मचारी भी करोड़ों एसे डकार जाता है कि अगर उसका पता लगाने सीबीआई भी जाये, तो फिर सीबीआई का पता लगाने के लिए भी किसी को जाना पड़ेगा। जैन भाई कि डायरी में हवाला का पैसा लेने वालों के नाम होने के बाद भी किसी का पता नहीं लगा। आज तक किसी भी घोटाले में, पैसा लेने वाला हमारे देश में पकड़ा जाये, ये नहीं हो सका । पहले लाखों में घोटाला होता था, फिर करोड़ों में। अब महँगाई बढ़ गयी है तो अरबों –खरबों में घोटाले होने लगे हैं। हमें खुश होना चाहिए, आखिर देश तरक्की कर रहा है.......

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Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
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