Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

Blog posts : "vyangya"

इन सम कोउ ज्ञानी जग नाहीं !! (व्यंग्य)

यूँ तो हम भारतवासी, सदियों से विश्वगुरु रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में हमारी विशेषज्ञता में चार चाँद लग गए है। अब तो हाल ये है कि हमें हर महीने, कभी-कभी तो हर हफ्ते, विशेषज्ञता के दौरे पड़ने लगे हैं। हालत यह हो गई है कि जब तक दो चार लोगों पर ज्ञान की बौछार न कर ली जाये, पेट साफ ही नहीं होता। हमारे …

Read more

डरना जरूरी है...... !!! (व्यंग्य)

             जिस तरह देश की रक्षा में, मरना जरूरी है। काम करो या ना करो, काम का दिखावा करना जरूरी है। अच्छे दिन लाने के लिए, अपनी जेबें भरना जरूरी है। ईमानदार होने के लिए, भ्रष्टाचार करना जरूरी है। ठीक वैसे ही देश के विकास के लिए, जनता-मीडिया-संस्थानो का, सरकार से डरना जरूरी है। हमारे देश की जनता, व…

Read more

2 blog posts

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e

हमसे संपर्क करें

visitor

863541

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...