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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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Blog posts : "current affairs"

लीक तंत्र का लोकतंत्र

          हमारे किसी महापुरुष ने कहा था कि हमारा देश, लोकतंत्र की जननी है। लेकिन आजकल हमारा प्यारा देश लीक- तंत्र का पप्पा बना हुआ है। देश में हर तरफ खटाखट- खटाखट पेपर लीक हो रहे हैं। पेपर लीक में हम लोग दुनिया में नंबर वन बन गए हैं। हमारे पप्पा युद्ध भले ही रुकवा लें, लेकिन एक भी पेपर लीक नहीं रोक …

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लीक तंत्र का लोकतंत्र (व्यंग्य)

हमारे किसी महापुरुष ने कहा था कि हमारा देश, लोकतंत्र की जननी है। लेकिन आजकल हमारा प्यारा देश लीक- तंत्र का पप्पा बना हुआ है। देश में हर तरफ खटाखट- खटाखट पेपर लीक हो रहे हैं। पेपर लीक में हम लोग दुनिया में नंबर वन बन गए हैं। हमारे पप्पा युद्ध भले ही रुकवा लें, लेकिन एक भी पेपर लीक नहीं रोक पा रहे। हम…

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फिर इलेक्शन आ रहे हैं…

फिर ......
इलेक्शन आ रहे हैं…

जिन अछूतों को कभी,
मानव नहीं समझा गया।
कुम्भ में उन भंगियों के, 
पाँव धोये जा रहे हैं। 

फि…

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अपना संविधान है.... (संविधान दिवस पर )

अपना संविधान है.... 

सबको गरिमा से जीने का,
हक देता संविधान है।
वर्ण-लिंग या जाति-धर्म सब,
उसके लिए समान है।

वैज्ञानिक चेतना बढ़ाए…

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डरना जरूरी है...... !!! (व्यंग्य)

             जिस तरह देश की रक्षा में, मरना जरूरी है। काम करो या ना करो, काम का दिखावा करना जरूरी है। अच्छे दिन लाने के लिए, अपनी जेबें भरना जरूरी है। ईमानदार होने के लिए, भ्रष्टाचार करना जरूरी है। ठीक वैसे ही देश के विकास के लिए, जनता-मीडिया-संस्थानो का, सरकार से डरना जरूरी है। हमारे देश की जनता, व…

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5 blog posts

आपकी राय

फटाफट पेपर लीक हो रहे हैं और झटपट लोगों तक पहुंच जा रहे हैं खटाखट जनप्रति निधि माला माल हो रहे हैं निश्चित ही विश्व गुरू बनने से भारत को कोई माई का लाल रोक नहीं सकता।

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...