ये दिल तो बेकरार, बहुत देर तक रहा।
उनका भी इंतजार, बहुत देर तक रहा।
हम बेखुदी में ही रहे, जब व…
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गजलों की सूची
- बहुत देर तक रहा.....
- हिसाब क्या देंगे ?
- सारे मसले, बारी बारी लिया करो......
- जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ....
- लोग मरते रहे ....
- हम आदमी ही आदमी का, मांस खा रहे हैं....
- चन्द चेहरे जो, तमतमाए हैं...
- हर कीमत पर जो बिकने को...
- हम उनका कहना तो, हर बार मान लेते हैं.
- …मुद्दों पे बातें, मना है।
- वादों का कभी, हिसाब नहीं मिलता
- यूँ तो मयखाने से हम दूर बहुत रहते हैं
- फिरता है...
- उनकी नजरों का.......
- इस आशिकी में....
- किसानों पे सियासत
- वो है ईमानदार, जो, पकड़ा ना गया हो.......
- आँखों में नहीं......
- सियासत की फसल
- है बहुत दुशवार जीना........
- जताते नहीं हैं लोग ......
- आईने साफ करते हैं।
- हम उनसे मुहब्बत का...
- शराफत देख बन्दों की.......
- ये कैसी रात है???
- माहौल मुल्क का......
- बीमार को, अब जहर पिला क्यों नहीं देते???
- हम उनको चाहते रहे, दिवानों की तरह.....
- काला गुरुवार हो गया है
- फिर एक बम फूटा है......
- डर लगता है ..
- वतन के नाम हो जाए
- हम बहरों को.....
- -- -- हिन्दी पखवाडा -- --
- अरमान बहुत है......
- उस दिन से जिंदगी.......
- क्या कहें साहब !!
गजल / कविता
बहुत देर तक रहा.....
हिसाब क्या देंगे ?
हम अपने प्यार का, उनको हिसाब क्या देंगे ?
सवाल ही जो गलत है, जवाब क्या देंगे ?
सारे मसले, बारी बारी लिया करो......
सारे मसले, बारी बारी लिया करो।
बस चुनावकी ही, तैयारी किया करो।
देशभक्ति कब तक बस, चमचागीरी से,…
जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ....
जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ।
केवल फतह, फरेब से, हर बार नहीं होती।
खुद पे हो भरोस…
हम आदमी ही आदमी का, मांस खा रहे हैं....
एक दूसरे को हिंदू , मुस्लिम जला रहे हैं।
हम आदमी ही आदमी का, मांस खा रहे हैं।
हर कीमत पर जो बिकने को...
हर कीमत पर जो बिकने को, बैठे हैं बाजारों में।
भ्रस्टाचार वो ढूंढ रहे हैं, औरों…
कैसी लगी रचना आपको ? जरूर बताइये ।
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आपकी राय
एकदम सटीक और relevant व्यंग, बढ़िया है भाई बढ़िया है,
आपकी लेखनी को salute भाई
Kya baat hai manoj ji aap ke vyang bahut he satik rehata hai bas aise he likhate rahiye
हम अपने देश की हालात क्या कहें साहब
आँखो में नींद और रजाई का साथ है फ़िर भी,
पढ़ने लगा तो पढ़ता बहुत देर तक रहा.
आप का लेख बहुत अच्छा है
Zakhm Abhi taaja hai.......
अति सुंदर।
अति सुन्दर
Very good
हमेशा की तरह उच्च कोटि की लेखनी....बहुत गहराई से, बहुत अर्थपूर्ण ढंग से व्यंग्य के साथ रचना की प्रस्तुति!
Bahut khoob bhai👏👏👏👌💐
Aur hamesha prasangik rahega…..very well written
हर समय यही व्यंग्य चुनाव पर सटीक बैठता है ❤️❤️❤️
असली नेता वही, जो जनता को पसंद वही बात कही , करे वही जिसमें खुद की भलाई , खुद खाये मलाई, जनता को दे आश्वासन की दुहाई
Mashallah
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