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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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Blog posts : "General"

मुद्दे हजार, वोटर लाचार (व्यंग्य)

इधर चुनाव का ऐलान हुआ, उधर जनता का भाव बेमौसम की सब्जियों की तरह आसमान पर जा पहुँचा। पाँच साल से नौकर से भी बदतर जीवन जीने को मजबूर जनता, अचानक अपने को अदानी-अंबानी की तरह मालिक समझने लगी है। पाँच साल से बिजली पानी को तरसती जनता, नेताओं को एक एक वोट के लिए तरसाना चाहती है। नेता भी पाँच हफ्ते, अपने क…

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(व्यंग्य) देश बचाने का मौसम.....

हमारा देश त्योहारों का देश है। मौसम के अनुसार यहाँ तरह तरह के त्योहार मनाये जाते हैं। कभी कभी ये लगता है कि जनता त्योहार मनाने के लिए ही पैदा हुई है। आजकल देश में चुनाव का त्योहार चल रहा है। जैसे हर त्योहार मनाने के कुछ कर्मकाण्ड होते हैं, वैसे ही चुनाव के त्योहार को मनाने के भी कुछ अलिखित परम्पराएं…

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(व्यंग्य) खुश है जमाना आज.....

खुश है जमाना आज पहली तारीख है। यह गाना 30-40 सालों के बाद 2017 मे जाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त हुआ है। पहली बार आम हों या खास, नेता हो या अभिनेता, गरीब हो या अमीर, नए साल पर सब खुश हैं। सरकार खुश है, विपक्षी खुश हैं।  सरकार समर्थक तो खुश हैं ही, सरकार विरोधी भी खुश हैं। तकलीफ में लाइन लगने वाला कुछ क…

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जनता उम्मीद से है.... ..... ....... ( व्यंग्य)

हमारे देश में सबसे आसान काम अगर कोई है, तो वो है, जनता में उम्मीद जगाना। जनता बस तैयार बैठी रहती है, उम्मीद लगाने के लिए। बस एक- दो मुद्दे, तबीयत से उछालो। दो-चार बार गरीब-गरीबी, शोषित-पीड़ित, बैंक दिवाला- सरकारी घोटाला, मंदिर-मस्जिद, रोजगार-भ्रष्टाचार आदि का जाप करिए। वंशवाद-तानाशाही को गाली दीजिये,…

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पहली नजर में.... ........ ( व्यंग्य)

हमारे नौजवान युवक और युवतियां, इश्क और गणित दोनों साथ साथ सीखते हैं। जब वो किसी से नजरें मिलाते हैं तो साथ साथ गणना भी करते जाते हैं। पहली नजर। दूसरी नजर। तीसरी नजर आदि। हम लोग बचपन से सुनते आ रहे हैं कि पहली नजर में प्यार होता है। लेकिन आधुनिक शोध से यह बात पता चली है कि, चौथी नजर में जाकर प्यार हो…

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(व्यंग्य) मुबारक नया साल। पुराने का नहीं मलाल।

आप सभी को नया साल 2017 बहुत बहुत मुबारक हो। आखिर आपने साल भर कड़ी मेहनत मशक्कत से देश को भ्रष्टाचार के ऊपरी पायदानों पर रोके रखा। इतने सारे उतार चढ़ावों के बावजूद किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आने दिया। कालाधन - कालाधन करने वालों का मुँह काला कर दिया। हम  सभी ने इसके लिए जान लगा दिया। अब …

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वो चिंता पे चिंता, किये जा रहे हैं। हम उनके भरोसे, जिये जा रहे हैं।

वो चिंता पे चिंता, किये जा रहे हैं।
हम उनके भरोसे, जिये जा रहे हैं।

 

महंगाई पे चिंता, बेगारी पे चिंता,
व्यापारी की चिंता, चुनावों की चिंता…

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कोई भी पाल्यूशन ! आड-ईवन साल्यूशन। (व्यंग्य)

आम आदमी आजकल चूसा हुआ आम हो गया है। जिसे देखो उसे चूस चूस कर उसकी गुठली निकालने पर आमादा है। आम को पकाकर खाने के लिए जैसे कैल्सियम कार्बाइड लगाया जाता है, वैसे ही आम आदमी को प्रदूषित हवाओं से पकाकर चूसा जा रहा है। तरह तरह के पाल्यूशन से आम आदमी की हालत पके आम से भी बुरी हो गयी है। कहीं हवा का पाल्यू…

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फिरता है।

वो मेरे कत्ल का, सामान लिए फिरता है।

सिर्फ हिंदू, या मुसलमान किए फिरता है।

 

जवानियों में, वो ढूँढे हसीन कातिल को ।…

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उनकी नजरों का.......

उनकी नजरों का जब से, इशारा हुआ।

दिल मुहब्बत का तब से, है मारा हुआ।

 

बस  यही एक दौलत, कमाई थी जो,

अब ये दिल बेवफा भी, तुम्हारा हुआ।…

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बढ़िया है..

बढ़िया है...बढ़िया है...
तेरे नेता देश लूटते, देश भक्त बस मेरे नेता,
सबके अपने चश्मे हैं, सबका अलग नजरिया है। 
बढ़िया है...

 

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वीर सपूत

होली,  ईद,  दिवाली  बस,  मनती  है  जज़्बातों   में

हम चैन की नींद तभी सोते हैं, जब जागते हैं वो रातों में।

 

ठंडी, गर्मी या बारिश हो, जो ल…

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सेवलान का धुला

धुलना और धोना हम भारतीयों का जन्मसिद्ध अधिकार है। धोने और धुलने की कला का आविष्कार हम भारतीयों ने ही किया है और उसपे हमलोगों का ही कापीराइट है। दुनिया के लोग तो पानी या पेट्रोल से सफाई करते हैं, पर हम भारतीय, पता नहीं किस किस चीज से दूसरों को धोते हैं, साफ करते हैं। पुराने जमाने में लोग सफाई के लिए …

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चलने भी दो यारों....

चलना और चलाना हमारे डीएनए में है। हम भारत के लोग, ‘सब चलता है’कहकर, कुछ भी चला सकते हैं। पप्पू नेता बन जाये, चलता है। फेंकू मंत्री बन जाये, चलता है। यहाँ तक कि नेता के बिना भी देश चला सकते हैं। अफसर के बिना आफिस चलता है। ड्राइवर के बिना गाड़ी चलती भी है और फुटपाथ पर भी चढ़ जाती है। हमारे न्यायालयों मे…

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बुलट की स्पीड....

हमारे नेताओं का बुलट और बैलेट प्रेम जग जाहिर है। खासकर हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री तो बुलेट के ख़ासे दीवाने हैं। मोदी जी ने जापानी प्रधानमंत्री आबे से कहा कि उनसे उन्हें बुलेट ट्रेन ही नहीं, ग्रोथ भी बुलट कि स्पीड से चाहिए। मोदीजी तो हर काम बुलट कि स्पीड से ही कराते हैं। वो भाजपा के प्रधानमंत्री के उम…

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सर्वे का मारा, वोटर बेचारा !! (व्यंग्य)

हे कलियुगी पाठकगणों, इस कलयुग में अगर कुछ सत्य है, तो वो है सिर्फ नेता और उनकी नेतागीरी। अभी-अभी बादामगिरी खाकर दिमाग पर ज़ोर दिया तो यह दर्शन समझ में आया, कि इस क्षणभंगुर संसार में नेता और नेतागीरी के अलावा, सारा जगत मिथ्या है। यह वोट मिथ्या है, वोटर मिथ्या है। जनता मिथ्या है, उसके मुद्दे मिथ्या हैं…

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जजन्त्रम्, ममन्त्रम्, गणतन्त्रम् !!

भारतवर्ष देशम् । नेता नरेशम् । खद्दर वेशम् । लूटन्ति देशम् । जनता की सेवम् । खिलाती है मेवम् । कमाई गरीबों की, चूसे पिशाचम् । सीएजी की जांचम् । सीबीआई की नाचम् । भ्रष्टों पे आती, नहीं कोई आंचम् । घोटाले से ज्यादा, ख़रच लेती जांचम् । घोटाले के आरोपी, बाइज्जत स्वतन्त्रम् । जजन्त्रम् ममन्त्रम्, गणतन्त्र…

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बदलाव की बयार, सब बदल दो यार !!

सर्दी के इस चिलचिलाते मौसम में भी आजकल देश में बदलाव की लू चल रही है। शायद ही कोई इस बदलाव की चपेट में आने से बचा हो। क्या जनता, क्या नेता, क्या डाक्टर, क्या मरीज, क्या अमीर, क्या गरीब, सब बदलाव से ग्रसित हैं। बदलाव भी एक तरह का नहीं, तरह तरह का। वैसे तो ज्ञानी जन कह गए हैं कि बदलाव प्रकृति का नियम …

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बच्चे कितने अच्छे???

आजकल देश पर बहुत भारी बिपदा आन पड़ी है। पूरा देश और हिन्दू धर्म खतरे में पड़ गया है। वैसे मुझ जैसे अज्ञानी को यह तो नहीं पता कि किस चीज से हिन्दू धर्म और देश को खतरा पैदा हो गया है? लेकिन अब बड़े बड़े ज्ञानी पुरुष कह रहे हैं कि देश और धर्म खतरे में है, तो है। इसपे सवाल थोड़े किया जा सकता है। तो आजकल हमार…

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दिल से दुआ नहीं करते।

मुंह से करते हैं ये, दिल से दुआ नहीं करते।

सियासी लोग हैं, किसी के हुआ नहीं करते।

 

आँखों से नींद, चैन -सकूँ दिल का चुरा लें।…

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20 blog posts

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...