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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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सर्टिफिकेट की महिमा (ब्यंग्य)

पैसे के बिना धनवान, ताकत के बिना बलवान और सर्टिफिकेट के बिना इंसान की कोई कीमत नहीं होती। एक अदद सर्टिफिकेट ही तो है, जो इंसान को इंसान की पहचान दिलाता है। हिन्दू हो या मुसलमान, बिना सर्टिफिकेट के नहीं कोई पहचान। सर्टिफिकेट की माया अपरंपार है। आम आदमी  तो आम आदमी, नेता, मंत्री या अफसर का काम भी, बिना सर्टिफिकेट के नहीं चलता। कलयुग में सर्टिफिकेट विहीन आदमी, आदमी नहीं होता। कभी कभी तो लोगों को अपने जिंदा होने का भी सर्टिफिकेट दिखाना पड़ता है, नहीं तो उनकी सम्पत्ति दूसरे लोग हड़प कर जाते हैं।

      सर्टिफिकेट दो तरह का होता है। एक लिखित और दूसरा मौखिक। लिखित सर्टिफिकेट, पैसे लेकर कुछ सर्टिफाइड लोग ही जारी करते हैं। कुछ लोग तो बकायदा पैसे लेकर सर्टिफिकेट बेचने की दुकाने खोल रखे हैं। कुछ लोग इन्हे प्राईवेट कालेज और उनके सर्टिफिकेट को डिग्रियाँ भी कहते हैं। कुछ लिखित सर्टिफिकेट केवल सरकारी महकमों से ही जारी होते हैं, जो कि चढ़ावे और दफ्तरों के चक्कर लगाने के बाद ही मिलते हैं।

दूसरा सर्टिफिकेट होता है मौखिक। यह सर्टिफिकेट  पूर्णत: लोकतंत्र की तरह होता है, जो कि किसी भी काम के लिए, किसी को भी और किसी के भी द्वारा जारी किया जा सकता है। आज कल मौखिक सर्टिफिकेटों कि बाढ़ आई हुई है। सबको इस तरह के सर्टिफिकेट लेने-देने का चस्का लग गया है। अन्ना जी और केजरीवाल, नेताओं को भ्रष्टाचारी होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। तो दिग्विजय सिंह उनको भी एक वैसा ही सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं। कृषि मंत्री, लोगों के खब्बू होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं, जिससे कि महँगाई बढ़ गयी बताते हैं।

     आरएसएस, भाजपा को देशभक्त होने का सर्टिफिकेट देती है, तो कांग्रेस,  सोनिया गांधी को त्यागी होने का सर्टिफिकेट देती है। सपा, अपराधियों को बेकसूर होने का सर्टिफिकेट दे रही है, तो बसपा, सपा राज को गुंडाराज का सर्टिफिकेट दे रही है। एसा नहीं है कि यह सर्टिफिकेट हमेशा दूसरो को ही दिया जाये। बल्कि आजकल तो खुद को ही सर्टिफिकेट देने कि महामारी फैली हुई है। शिवराज और हुड्डा अपने को नंबरवन मुख्यमंत्री का सर्टीफिकेट खुद ही दे रहे हैं, तो मोदी अपने को विकास पुरुष का, और नितीश कुमार अपने राज को सुशासन का सर्टिफिकेट खुद ही दे रहे हैं। आखिर एक अदद सर्टिफिकेट के लिए भी दूसरे पर डिपेण्ड क्यों रहें? 

सर्टिफिकेट के मामले में सबसे ज्यादा डिपेण्ड अगर कोई है तो वह हैं हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। भाजपा उन्हे ‘सबसे कमजोर प्रधानमंत्री’ ‘फेल प्रधानमंत्री’ ‘शिखण्डी’ आदि बहुत से सर्टिफिकेट  दे रही है। सपा वाले ‘धर्मनिरपेक्ष’ का, तो कांग्रेस वाले ‘दूरदर्शी’ का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। अब तो उन्हे विदेशों से भी सर्टिफिकेट मिलने लगे हैं। अमेरिका उन्हे ‘अंडर अचीवर’ का सर्टिफिकेट दे रहा है। जैसे हमारे यहाँ विदेशी सामानों को बहुत महत्व दिया जाता हैं, वैसे ही हमारे देशवासी अमेरिकी सर्टिफिकेट को भी बहुत महत्व दे रहे हैं।  

       खैर छोड़िए उनको, अब तो  मुझे भी सर्टिफिकेट की महिमा समझ आ गयी है, इसलिए मैं भी एक लेखक के सर्टिफिकेट के जुगाड़ में लग जाता हूँ। 

 

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Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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