Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

बढ़िया है... भई...बढ़िया है...

बढ़िया है... भई...बढ़िया है...

तेरे नेता देश लूटते, देश भक्त मेरे नेता,
सबका अपने नेताओं के, बारे अलग नजरिया है। 
बढ़िया है...भई... बढ़िया है...

बन्दरिया की उछल कूद पर, एश मदारी काटे हैं,
सबके नेता हुए मदारी, जनता बनी बंदरिया है,
बढ़िया है...भई... बढ़िया है...

इनके नारे, उनके वादे, सुन-सुन सत्तर साल गए,
अच्छे दिन के इंतजार में, बीती जाए उमरिया है...
बढ़िया है...भई... बढ़िया है…

सेल्फी से ही बचें बेटियाँ, देशप्रेम अब सेल्फी से,
योगा सेल्फी वालों की, मोटी दिखे कमरिया है…
बढ़िया है...भई... बढ़िया है...

रखवाली करते हैं भेड़िए, मेमने तेरे बच्चों की,
जल जंगल के मालिक से, छिने बोकारो झरिया है...
बढ़िया है...भई... बढ़िया है...

हिन्दू-मुस्लिम में नफरत से, फसल उगाते वोटों की
बच्चे सुल्ली बुल्ली करते, ज़हर जेहन में भर रिया है।
बढ़िया है...भई... बढ़िया है...

देशभक्ति में देश बेंचते, 'जानी' अपनी कूबत भर,
सबकी अपनी गंगा हैं, सबकी अपनी दरिया है...
बढ़िया है...भई... बढ़िया है..

Go Back



Comment

आपकी राय

बहुत ही सुंदर और सटीक व्यंग है

Very nice Explained by you the real Scenario of our Nation in such beautiful peom by Sh.Manoj Jani Sir. Hat's off to you.

एकदम सटीक और relevant व्यंग, बढ़िया है भाई बढ़िया है,
आपकी लेखनी को salute भाई

Kya baat hai manoj ji aap ke vyang bahut he satik rehata hai bas aise he likhate rahiye

हम अपने देश की हालात क्या कहें साहब

आँखो में नींद और रजाई का साथ है फ़िर भी,
पढ़ने लगा तो पढ़ता बहुत देर तक रहा.

आप का लेख बहुत अच्छा है

Zakhm Abhi taaja hai.......

अति सुंदर।

अति सुन्दर

Very good

450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93

हमसे संपर्क करें

visitor

801170

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...