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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ....

जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ।
केवल फतह, फरेब से, हर बार नहीं होती।


खुद पे हो भरोसा और, जज्बा बुलंद हो,
उसको किसी मदद की, दरकार नहीं होती।


घोटाले, भ्रष्टाचार तो, सुनने को तरस जाते,
गर देश में बेशर्म सी, सरकार नहीं होती।


सब साथ-साथ मिलकर, पब्लिक को लूटते,
बँटवारे में गर लूट के, तकरार नहीं होती।


सच्चाई और कर्म की, ताकत भी चाहिए,
नारों के बल पे केवल, ललकार नहीं होती।


दामन ना पाक-साफ हो, अपना तो गैर पे,
आरोप लगा करके, यलगार नहीं होती ।


सत्ता का मद भी हारेगा, ‘जानी’ निरीह से,
हाथों में जिनके कोई, तलवार नहीं होती।


जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ।
केवल फतह, फरेब से, हर बार नहीं होती।

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Comment

आपकी राय

Dignified india ,youtube par aapka song _shiksha hame saman chahiye,dhoom machaya raha hai

Dignified India , youtube par aapkaa song _ dhoom macha rahaa hai.

बहुत ही सुंदर और सटीक व्यंग है

Very nice Explained by you the real Scenario of our Nation in such beautiful peom by Sh.Manoj Jani Sir. Hat's off to you.

एकदम सटीक और relevant व्यंग, बढ़िया है भाई बढ़िया है,
आपकी लेखनी को salute भाई

Kya baat hai manoj ji aap ke vyang bahut he satik rehata hai bas aise he likhate rahiye

हम अपने देश की हालात क्या कहें साहब

आँखो में नींद और रजाई का साथ है फ़िर भी,
पढ़ने लगा तो पढ़ता बहुत देर तक रहा.

आप का लेख बहुत अच्छा है

Zakhm Abhi taaja hai.......

अति सुंदर।

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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