आम आदमी आजकल चूसा हुआ आम हो गया है। जिसे देखो उसे चूस चूस कर उसकी गुठली निकालने पर आमादा है। आम को पकाकर खाने के लिए जैसे कैल्सियम कार्बाइड लगाया जाता है, वैसे ही आम आदमी को प्रदूषित हवाओं से पकाकर चूसा जा रहा है। तरह तरह के पाल्यूशन से आम आदमी की हालत पके आम से भी बुरी हो गयी है। कहीं हवा का पाल्यूशन, कहीं पानी का। कहीं शोर (ध्वनि) का पाल्यूशन, कहीं भ्रष्टाचार का।
आजकल दिल्ली में पाल्यूशन का बहुत जलवा है। एसा नहीं है कि बाकी शहरों में पाल्यूशन कम है। अब दिल्ली क्योंकि सेंटर में है तो सबका फोकस यहीं है, वरना तो कानपुर और आगरा दिल्ली को पहले ही पछाड़ चुके हैं। लेकिन दिल्ली वाले हैं बहुत होशियार। हर चीज का तुरन्त हल निकाल लेते हैं। इन्होने फटाफट वायु प्रदूषण का सोल्यूशन आड-ईवन में ढूँढ निकाला है। एक दिन आड नंबर की गाड़ी चलेगी, दूसरे दिन ईवन नंबर की। क्या आविष्कार है। पूरे देश में भले ही फाग चल रहा हो, दिल्ली में तो आड-ईवन चल रहा है।
अब आगे चलकर, धीरे-धीरे देश की हर समस्या का समाधान इसी ऑड-ईवन के रास्ते से मिलेगा। महँगाई का साल्यूशन भी इसमें है। आड तारीख को अरहर की दाल, आटे की रोटी, अंगूर, अनार, आम, इमली, आलू, आदि स्वर से शुरू होने वाली चीजें खाइये। और ईवन तारीख पर ब्यंजन से शुरू होने वाले ब्यंजन खाइये जैसे- मटर की दाल, चने की दाल, टमाटर, प्याज, चावल आदि। सप्ताहांत में उपवास करके महँगाई से निजात पा सकते हैं।
मोदी जी के संसद चलाने का हल भी इसी फार्मूले पर चलकर निकलेगा। संसद सत्र में आड तारीख को बीजेपी के साधू संत टाइप नेता गो-हत्या और मंदिर-मस्जिद टाइप किसी मुद्दे पर कोई बयान देंगे। ईवन तारीख पर अगले दिन कांग्रेस और विपक्षी पार्टियाँ इसका विरोध करेंगे। मंत्रियों का इस्तीफा मांगेंगे। फिर अगली आड तारीख को बीजेपी के कोई साधू-साध्वी कोई परम बेवकूफाना बयान देंगे। उसके अगले ईवन दिन कांग्रेस मोदी जी का इस्तीफा मांगेगी और कोई और चिरकुटई बिखेरेगी। आड पक्ष का, ईवन विपक्ष का दिन होगा। ना कोई हल्ला, ना मछली बाजार। आड में कांग्रेस और विपक्षी संसद जायेंगे। ईवन में बीजेपी और सत्तापक्ष।
मोदी जी की विदेश यात्राओं से परेशान जनता के लिए भी आड-ईवन कारगर साबित हो सकता है। मोदी जी जनवरी, मार्च, मई, जुलाई... आदि आड महीनों में उन देशों की यात्रा करेंगे जिनका नाम स्वर अक्षरों से शुरू होता है जैसे- अमरीका, आष्ट्रेलिया, इथियोपिया, इंग्लैण्ड, अफगानिस्तान आदि। और फरवरी, अप्रैल, जून... आदि ईवन महीनों में उन देशों की यात्राएं करेंगे जिनका नाम ब्यंजन अक्षरों से पड़ेगा जैसे- जापान, जर्मनी, लंका, पाकिस्तान आदि। इससे क्या होगा कि अफगानिस्तान के अगले दिन पाकिस्तान नहीं जा पायेंगे, बल्कि अगले महीने का इंतजार करना पड़ेगा। इससे कांग्रेस को चिल्लाने का मौका भी नहीं मिलेगा कि मोदी जी एकदम से बिना परमिशन लिए पाकिस्तान कैसे चले गए।
इसी तरह भारत पाकिस्तान समस्या का हल भी इसी आड-ईवन में छिपा है। ईवन महीने में (दिसम्बर) में मोदी जी पाकिस्तान नवाज़ के गले मिलने जाएँगे, और आड महीने (जनवरी) में नवाज़ के दूत (आतंकवादी), भारत में पाठनकोट जैसी जगहों पर मोदी जी के गले पड़ेंगे। आड महीने में मोदी जी पाकिस्तान को मुंहतोड़ जबाब, मुँह से देंगे। ईवन महीने में नवाज़ शरीफ, पूरी शराफत और बा-अदब से, अपने गोला-बारूद सीधे बार्डर के उस पार से सप्लाई करेंगे।
दिल्ली वाले तो इस आड-ईवन की महत्ता को अब समझे हैं, लेकिन देश की जनता तो बहुत पहले से इसे आजमा रही है। जैसे तमिलनाडु में एक बार डीएमके तो दूसरी बार एआईडीएमके। हिमाचल में एक बार कांग्रेस तो दूसरी बार बीजेपी। यूपी में एक बार बीएसपी तो दूसरी बार एसपी। अपने आड-ईवन आजमाती रहती है। कभी केंद्र में भी भाजपा तो कभी कांग्रेस को लाती रही है। लेकिन अभी तक राजनीतिक प्रदूषण का स्तर चुनाव-दर-चुनाव बढ़ता ही जा रहा है। अब देखना है कि इस आड-ईवन से दिल्ली का पाल्यूशन लेवल गिरता है कि बढ़ता है।