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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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इन सम कोउ ज्ञानी जग नाहीं !! (व्यंग्य)

यूँ तो हम भारतवासी, सदियों से विश्वगुरु रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में हमारी विशेषज्ञता में चार चाँद लग गए है। अब तो हाल ये है कि हमें हर महीने, कभी-कभी तो हर हफ्ते, विशेषज्ञता के दौरे पड़ने लगे हैं। हालत यह हो गई है कि जब तक दो चार लोगों पर ज्ञान की बौछार न कर ली जाये, पेट साफ ही नहीं होता। हमारे यहाँ का पानी ही कुछ एसा है कि बच्चे हो या बूढ़े, सब ज्ञानी होते हैं। सब एक दूसरे को बिना माँगे सलाह देते हैं। और खुद किसी की नहीं सुनते, क्योंकि, खुद का ज्ञान तो पहले से ही खोपड़ी के बाहर छलक रहा होता है।

हमारे देश में कुछ मौसम-विज्ञानी होते हैं, तो कुछ मौसमी-ज्ञानी होते हैं। नेता अक्सर मौसम-विज्ञानी होते हैं और जनता अक्सर मौसमी-ज्ञानी होती है। चुनाव के मौसम में नेता पहले भाँप जाते हैं कि चुनाव की ‘हवा’ किधर चलेगी, ईवीएम का ‘करेंट’ किधर लगेगा, वोट की ‘लहर’ किधर बहेगी और वो उसी हिसाब से मौसम के साथ चल पड़ते हैं। भारत की राजनीति के कुछ मौसम-विज्ञानियों को देखकर तो नासा वाले भी हैरान हैं कि कैसे 20 सालों से ज्यादा से कोई मौसम-विज्ञानी, हमेशा जीतने वाले गठबंधन की तरफ रहता है। सरकार चाहे यूपीए की हो या एनडीए की, मौसम-विज्ञानी हमेशा मंत्री बने रहते हैं।

दूसरी तरफ हमारी जनता है, जो मौसमी-ज्ञानी है। अलग-अलग मौसम के हिसाब से स्वयंभू ज्ञानी बन जाती है। क्रिकेट मैच चल रहा हो, आईपीएल का मौसम हो तो चाय वाले से लेकर रिक्शे-ठेले वाले तक, बाबू से लेकर अफसर तक, धोनी और विराट को ज्ञान देते रहते हैं कि शाट कैसे मारना है, कब रन लेना है कब नहीं, पहले बैटिंग करनी है या फील्डिंग। जब नोटबंदी हुई, सारी जनता अर्थशास्त्री हो गई। फाइनेंस एक्सपर्ट! नोटबंदी से कैसे पाकिस्तान की कमर-टाँग टूटेगी, कालाधन कैसे ख़त्म होगा, आतंकवाद- नक्सलवाद कैसे ख़त्म होगा, नकली नोट कैसे बंद हो जाएँगे, इस पर सुबह-शाम ज्ञान पेलने लगी।  

इसके बाद जीएसटी आई तो जनता के ज्ञान का लेवल और हाई हो गया। टैक्स चोरी ख़त्म होगी, टैक्स खूब आएगा, इकोनामी 5 ट्रिलियन आदि आदि के ज्ञान की वर्षा होने लगी। कोरोना की महामारी तो आजकल आई है, लेकिन ज्ञान और भाषण की महामारी तो हमारी सदियों पुरानी है। तो कोरोना महामारी आते ही मौसमी ज्ञानियों के अंदर का हेल्थ एक्सपर्ट कुलबुलाने लगा। कोई नमस्ते की परम्परा पर गर्व कर रहा था तो कोई सोशल डिस्टेंसिंग की महत्ता बता रहा था। जब दूसरे देश के लोग कोरोना फैलने पर, अस्पताल बना रहे थे, वेंटिलेटर की व्यवस्था कर रहे थे, डाक्टरों-नर्सों के लिए सुरक्षा किटों की व्यवस्था कर रहे थे, हम महान ज्ञानी लोग ‘अतिथि देवो भव’ की महान परम्परा में सात-आठ लाख लोग इकट्ठे होकर ट्रंप देव की आगवानी कर रहे थे।

उसके बाद जब कोरोना, देश को रुलाने लगा और प्रधान सेवक ने देशबंदी कर दी, तो हमारे मौसमी ज्ञानियों का ज्ञान फिर हुंकार भरने लगा। और इस बार हाथ धोने से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग के महत्व पर वैदिक ज्ञान बरसने लगा। आखिर हमारा देश किसी और मामले में विश्वगुरु हो या ना हो, सोशल डिस्टेंसिंग के मामले में दुनिया का कोई देश हमारे आस-पास भी नहीं ठहरता है। सदियों से हमने जो सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन की हुई है, उसकी दुनिया कायल है। छूतों-अछूतों, शूद्रों- सवर्णों के नाम पर हम आज भी जाति विशेष को पास तक फटकने नहीं देते। कुओं से पानी लेने पर, नल छू देने पर, मंदिर जाने पर, घोड़ी चढ़ने पर, हाथ-पाँव तोड़कर, गोली मारकर, किसी भी हद तक गिर जाते हैं, लेकिन क्या मजाल कि सोशल डिस्टेंसिंग पर आँच भी आने दें।

इधर हमारे एक नवयुवक अभिनेता की आत्महत्या की खबर आई, उधर हमारे मौसमी-ज्ञानियों के पेट में मरोड़ शुरू। अवसाद से कैसे राहत पायें, अवसाद कैसे कम करें, इसके लिए ज्ञान से लेकर योग के ज्ञान चहुँ ओर बिखरने लगे। इसी बीच, चीन से झड़प में हमारे बीस सैनिक शहीद हो गए तो मौसमी ज्ञानियों का ज्ञान आपे से बाहर चला गया। चीन के ही शाऊमी, विवो, ओप्पो, रियलमी आदि मोबाइलों से चीन को भर-भर के अनुप्रास अलंकार में गालियाँ दी।

मौसमी-ज्ञानियों ने बायकाट चाइना की मुहिम शुरू कर दी। ये अलग बात है कि अज्ञानी सरकार ने दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर का हजारों करोड़ का ठेका, चीनी कंपनी ‘शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी’ को दे दिया। मौसमी-ज्ञानी, चीनी ‘टिकटाक’ ऐप डिलीट करने की मुहिम चला रहे हैं और अज्ञानी सरकार ने टिकटाक के भीतर अपना एक प्लेटफार्म बनाया हुआ है तथा चीनी झड़प में मारे गए सैनिको को श्रद्धांजलि भी वीडियो बनाकर इसी टिकटाक में भारत सरकार ने डाला हुआ है।

जो मौसमी-ज्ञानी टीवी स्टूडियो में एंकर का अवतार लेकर प्रकट होते हैं, उनके ऊपर तो ज्ञान की देवी साक्षात सवार हो जाती हैं। टीवी स्क्रीन पर चलता रहेगा, ‘पावर्ड बाई विवो’, ‘पावर्ड बाई ओप्पो’ और ज्ञानी एंकर चीनी सामान बायकाट का ज्ञान उड़ेल रहे होते हैं। वैसे भी सीमाओं पर तनाव होते ही, मौसमी-ज्ञानी, सुरक्षा विशेषज्ञ और युद्ध विशेषज्ञ हो जाते हैं। सरकार को कब सर्जिकल स्ट्राइक करना है, कब पाकिस्तान पर हमला करना है, कब पाकिस्तान के टमाटर सड़ाना है, कब पाकिस्तान को भूंखों मारना है, सारा ज्ञान इन्हीं मौसमी-ज्ञानियों के पास होता है। इन सब ज्ञानियों में कोई भले किसी चीज का एक्सपर्ट हो या ना हो, मीडिया सरकार को बचाने में और सरकार नागरिकों को बहकाने में, मुद्दों से घुमाने में, पूरा एक्सपर्ट हो गयी है। इस मामले में, इन सम कोउ ज्ञानी जग नाहीं।

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Comment

आपकी राय

Dignified india ,youtube par aapka song _shiksha hame saman chahiye,dhoom machaya raha hai

Dignified India , youtube par aapkaa song _ dhoom macha rahaa hai.

बहुत ही सुंदर और सटीक व्यंग है

Very nice Explained by you the real Scenario of our Nation in such beautiful peom by Sh.Manoj Jani Sir. Hat's off to you.

एकदम सटीक और relevant व्यंग, बढ़िया है भाई बढ़िया है,
आपकी लेखनी को salute भाई

Kya baat hai manoj ji aap ke vyang bahut he satik rehata hai bas aise he likhate rahiye

हम अपने देश की हालात क्या कहें साहब

आँखो में नींद और रजाई का साथ है फ़िर भी,
पढ़ने लगा तो पढ़ता बहुत देर तक रहा.

आप का लेख बहुत अच्छा है

Zakhm Abhi taaja hai.......

अति सुंदर।

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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