Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

Blog posts : "ब्यंग्य "

तारीख पे तारीख..

ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है चुनाव। जनता का बढ़ रहा है भाव। पाँच साल तक नेता जी दिखा रहे थे ताव। अब जनता के मुँह में भी जबान आ गयी, घोषित होते ही चुनाव। चुनाव की सरगर्मी में, टीवी चैनल –अख़बार कर रहे हैं कांव-कांव। जनता की राय जानने, दौड़ रहे हैं गाँव-गाँव। जगह जगह चुनाव सभाओं के मंच सज रहे हैं। एक से एक…

Read more

यत्र उलूकस्य पूज्यन्ते..... ....

बाबा शेक्सपियर ने कहा था कि हर कुत्ते का एक दिन आता है। तो आजकल कुत्तों के दिन चल रहे हैं। हालांकि उन्होने यह नहीं बताया था कि रात किसकी है या रात किसकी आएगी? तो मै आपको बताता हूँ कि आजकल उल्लुओं कि रात के साथ साथ दिन भी चल रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कुत्तों की वैलू कम हो गयी है।…

Read more

खोदने की कला !!

हमारे देश में खोदने और खुदवाने की बहुत ही विकसित परम्परा रही है। विभीषण ने रावण की जड़ खोदकर राम से उसका संहार करवाया। तो मंथरा ने कैकेयी रानी को खोद-खोदकर वरदान की याद दिलाई और राम को वन भेजवाया। पहले राजा महाराजा कुएं खुदवाया करते थे, तो आजकल अपराधी लोग जेल खोदकर फुर्र हो जाते हैं। लेकिन खोदने और ख…

Read more

सोना पे सपना औ सपने में सोना ।

बड़े बुजुर्ग कहते थे कि सपने हमेशा सोने पर आते हैं। मगर आजकल की बात ही अलग है। आखिर कलयुग चल रहा है, इसलिए आजकल के संतों को सपने में सोना दिखाई दे रहा है। सोने पे सपना और सपने में सोना। वाह क्या जुगलबंदी है। आजकल एक संत शोभन सरकार को सपना आया है कि यूपी के उन्नाव के डौडिया खेड़ा गाँव में राजा राव राम …

Read more

घोटाला गारंटी योजना .......

सरकार इधर बहुतई परेशान है। कारण है ई मुई कैग और सीबीआई। इनसे बचे तो, पब्लिक का पी आई एल । उसके बाद कोर्ट का डंडा। कोई सरकार को चैन से बैठने नहीं देता। एसे मेँ सरकार देश का विकास कैसे करे? देश विकास कर रहा है तो कुछ अज्ञानी चिल्ला रहे हैं कि घोटाला हो रहा है। अरे भाई ये भी तो देखो, पहले देश कितना गरी…

Read more

निंदा है, तो जिंदा है...

       निन्दा रस का मजा सोमरस से भी ज्यादा आता है। यह एक सर्व सुलभ, सर्व ब्यापी, महंगाई से परे, सर्व ग्राही चीज है। निन्दा का आविष्कार हमारे देश में कब हुआ, यह तो परम निंदनीय ब्यक्ति ही बता सकता है। लेकिन आजकल इसका प्रयोग हमारे परम आदरणीय लोग खूब कर रहे हैं।…

Read more

खाना खाये पब्लिक हमारो....

आजकल हमारे नेता एक से बढ़कर एक सनसनीखेज रहस्योद्घाटन करने में लगे हुये हैं। एक ने कहा, पब्लिक 5 रुपये में खाना खा सकती है। दूसरे ने कहा- पब्लिक 12 रुपये में खा सकती है। उसके बाद एक-एक कर बहुत से नेताओं ने अलग-अलग खाने के रेट का खुलासा किया। तब जाकर मुझ जैसे अज्ञानी को ये पता चला की पब्लिक खाना भी ख…

Read more

गिरो, मगर प्यार से....

देश आजकल गिरने में ओलंपिक पदक जीतने की होड़ में लगा है। हमारे देश का हर तबका गिरने में चैम्पियन बनना चाहता है। सभी गिरने में एक दूसरे से होड़ ले रहे हैं। वैसे गिरे तो प्रिंस थे। वो भी गड्ढे में। जिसके लिए टीवी से लेकर अख़बार वाले तक दिन रात एक कर दिये थे। तब पहली बार मुझे भी गिरने के महत्व का पता चला थ…

Read more

जिम्मेदार की तलाश !

आजकल देश के सामने सबसे बड़ी समस्या आन पड़ी है, जिम्मेदार आदमी ढूँढने की। इस वजह से सबसे ज्यादा परेशानी अगर किसी को हो रही है, तो वे हैं, हमारे खबरिया चैनल। सभी को तलाश है एक जिम्मेदार आदमी की। क्योंकि समस्या है तो मुद्दा है। मुद्दा है तो खबर है। खबर है तो खबरिया चैनल हैं। अब समस्या की वजह से ही तो चैन…

Read more

देशहित-जनहित में निजहित !!

देशहित की बीमारी जिसे लग जाए, उसे नेता बनाकर ही छोड़ती है। अगर कोढ़ में खाज की तरह, देशहित के साथ साथ जनहित का रोग भी जिसे लग जाए, वह तो मंत्री या प्रधान मंत्री तक बन सकता है। इतिहास गवाह है की हर नेता की उत्पत्ति इन्हीं दो कारणों से हुई है। देशहित या जनहित। अब हमारा देश ठहरा अनपढ़-गंवार। देश की जनता भ…

Read more

ना काहू का भांजा, ना काहू का दामाद !!

महाभारत काल से लेकर आधुनिक कलयुग तक, कंस व शकुनी मामाओं ने भांजों का जितना विनाश किया था, उन सबका बदला कलयुगी भांजे ने ले लिया। और मामा के रेल में एसा खेल खेला, कि रेल तो पटरी से उतरी ही, मामा भी कुर्सी से उतर गया। अब तक लोग कहते थे, कि पुत्र, कुपुत्र हो सकता है, लेकिन कोई यह नहीं कहता था कि भांजा, …

Read more

हर सौदे में परसेंटेज, जरूरी होता है........

चाय के लिए जैसे टोस्ट होता है, वैसे हर सौदे में परसेंटेज, जरूरी होता है। कोई तोप की दलाली में, पैसे खाये। कोई कोयले की खान को, लूट ले जाए। कोई कामन वेल्थ …

Read more

वाग्वीर इंसान की, होत चीकनी बात !!

हमारा देश वाग्वीरों का देश है। हमारे देश में एक से बढ़कर एक वाग्वीर मौजूद हैं। सभी अपनी बातों से ही दुनिया फतह करते रहते हैं। इनके पास अत्याधुनिक ‘बयान बम’ पाये जाते हैं, जिसे वे हर अवसर पर फोड़ते रहते हैं। अपने बयान बमों की शक्ति बढ़ाने के लिए, हमारे वाग्वीर, उसमें ‘चैनल चर्चा’ के छर्रे मिलाते हैं, जि…

Read more

तरक्की हो रही है...

हमारा देश तरक्की की चक्की में, पिस रहा है। देश का विकास, आम आदमी को उदास कर रहा है। अब तो आम भी इतने महंगे होते जा रहे हैं कि कुछ दिन बाद लोग‘आम’आदमी होना भी अफोर्ड नहीं कर पायेंगे। जो आदमी मिलेंगे, वो बिना‘आम’ वाले आदमी होंगें। रोड के एक तरफ बड़े बड़े माल। तो दूसरी तरफ कटोरा पकड़े कंगाल। एक तरफ सरकार …

Read more

बनन में, बागन में, ... वेलेंटाइन !

ज्यों ज्यों वेलेंटाइन डे नजदीक आता है, नवयुवकों और नवयुवतियों की बांछे (वो शरीर में जहाँ भी पायी जाती हों) खिल जाती हैं। वैसे भी बसंत और फागुन का हमारे पूर्वजों ने भी बहुत नाजायज फायदा उठाया है। कभी पद्माकर जी ने बसंत के बारे में कहा था कि- “बीथिन में, ब्रज में, नेबोलिन में, बोलिन में, बनन में, बागन…

Read more

जांच अभी जारी है .......

जांच एक एसी प्रक्रिया है, जिससे दोषी पर कभी आंच नहीं आती। अफसर-नेता, घोटाले का करें नंगा नांच। जब जनता चिल्लाये, तो थमा देते हैं, जांच। और किसी दोषी पर कभी नहीं आती आंच। ये है पब्लिक उवाच। …

Read more

सेवा का मेवा .....

यूं तो हमारे सेवक राम जी में बचपन से ही समाज सेवा का कीड़ा कुलबुलाता था। लेकिन ज्यों ज्यों वह बड़े होते गए, समाज सेवा का कीड़ा भी बड़ा होता गया। छोटे थे तो लोगों से हजार दो हजार झटक कर उन्हें मोह माया के चंगुल से मुक्ति देते थे। थोड़ा बड़े हुये तो सरकारी चीजों को अपना समझकर अपनाते रहे। कभी सरकारी जमी…

Read more

जो तेरा है, वो मेरा है।

आजकल सब तरफ मोबाइल कंपनी का नारा, जो तेरा है वो मेरा है, खूब चल रहा है। गज़ब का अपनापन। गज़ब की सामाजिकता। एसा लगता है कि चारों ओर रामराज्य आ गया है। सभी लोग एक दूसरे के दुख सुख को अपना समझ रहे हैं। कभी हमारे मनीषियों ने वसुधैव कुटुम्बकम की बात की थी, आज उनके वंशज, “जो तेरा है वो मेरा है” अपना कर…

Read more

सम्मान एक शिक्षक का !

      हमारे महान देश में, गुरुओं की बहुत ही विकसित प्रजातियाँ पायी जाती हैं। गुरु-शिष्य परम्परा, शुद्ध देशी घी काल से डालडा काल तक बहुत ही संवृद्ध  रही है। वैसे हमारे देश की उर्वरा जमींन में, नाना प्रकार के गुरूओं की प्रजातियां पायी जाती हैं। कुछ गुरु विद्या मंदिरों  के आस पास लेक्चर देते हुये प…

Read more

हिन्दी पखवाड़ा सम्मेलन

जैसे शादी ब्याह का दिन नजदीक आते ही वर-कन्या के घर सजने लगते हैं, और शादी ब्याह के बाद सब पहले जैसा हो जाता है, उसी तरह सितंबर शुरू होते ही सभी सरकारी विभागों के राजभाषा विभाग के दफ्तर सजने- सँवरने और चहकने लगते हैं। जनवरी के हैप्पी न्यू ईयर तथा फरवरी के वेलेंटाइन डे के बाद सितंबर में जाकर पता चलता …

Read more

20 blog posts

आपकी राय

फटाफट पेपर लीक हो रहे हैं और झटपट लोगों तक पहुंच जा रहे हैं खटाखट जनप्रति निधि माला माल हो रहे हैं निश्चित ही विश्व गुरू बनने से भारत को कोई माई का लाल रोक नहीं सकता।

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b

हमसे संपर्क करें

visitor

949745

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...