कलियुगी बाबा लोग प्रवचन ठेलते हैं कि मन बावरा है। सारे सांसारिक गलत कामों के लिए मन ही उकसाता है। बुजुर्ग लोग हर चीज में नकारात्मक सलाह देते हैं। ये मत करो। वो मत करो। यहाँ मत जाओ। वहाँ मत जाओ। मनमानी मत करो। इस महान भारतभूमि पर एसे बहुत से खलिहर महानुभाव वास करते हैं, जो आपको ‘मन’ और ‘मत’ पर घंटो प…
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Blog posts : "ब्यंग्य "
आँकड़ों पर रार..., पब्लिक बेरोजगार !
आजकल जिसे देखो जनता को रोजगार देने के लिए दुखी हुआ पड़ा है। खुद भले नौकरीशुदा हो, लेकिन बेरोजगारों की चिंता उसे खाये जा रही है। चिंता करना भी आजकल फैशन हो गया है। और यह फैशन चुनावों के समय कुछ ज्यादा ही महामारी का रूप ले लेता है। नेता लोग, जनता की तरह-तरह की चिंताओं में खुद को डुबो लेते है। किसी को ज…
सोच बदलो, देश बदलेगा ....
सर्दी के इस चिलचिलाते मौसम में भी आजकल देश में बदलाव की लू चल रही है। जब से मोदी जी ने कहा है, सोच बदलो, देश बदलेगा। तब से शायद ही कोई इस बदलाव की चपेट में आने से बचा हो। क्या जनता, क्या नेता, क्या डाक्टर, क्या मरीज, क्या अमीर, क्या गरीब, सब बदलाव से ग्रसित हैं। बदलाव भी एक तरह का नहीं, तरह तरह का। …
... और रावण जल गया।
मुझे सबसे ज्यादा डर धार्मिक लोगों से लगता है। सभी धार्मिक लोगों से नहीं , बल्कि जो किसी श्री श्री . . . पूजा समिति का सदस्य हो। पूजा समिति के लोगों से मुझे उतना ही डर लगता है, जितना कि कांग्रेस को अन्ना हज़ारे से। भाजपा को किए गए चुनावी वादों से। अकबर को मी टू अभियान से। जनता को चुनाव से। देश को देश …
हाथों में क्या है? (व्यंग्य)
हाथ हमारे शरीर का सबसे उपयोगी और सबसे उपेक्षित अंग है। जैसे भारत में दलितों की हालत है, वैसे ही शरीर में हाथ की हालत होती है। पैदा होने से लेकर मरने तक हर जगह हाथ का काम होता है, लेकिन आदमी आता भी खाली हाथ है और जाता भी खाली हाथ है। आदमी जीवन में हाथों का तरह तरह के उपयोग करके, उम्र बिता देता है, फि…
महानता हमारा, जन्मसिद्ध अधिकार है....
आजकल हमारा देश महान हो गया है। चार साल पहले तक महान नहीं था, नहीं तो मेरे जैसे फालतू लोग, अदने लोग कैसे पैदा हो पाते? यह बात तो हमारे प्रधान सेवक भी विदेशों में जाकर कन्फ़र्म कर चुके हैं कि उनके प्रधानसेवक बनने से पहले, देशवासियों को, खुद को भारतीय कहने में शर्म महसूस होती थी। लेकिन आजकल मेरा भारत मह…
डरना जरूरी है...... !!!
जिस तरह देश की रक्षा में, मरना जरूरी है। काम करो या ना करो, काम का दिखावा करना जरूरी है। अपने अच्छे दिन लाने के लिए, अपनी जेबें भरना जरूरी है। ईमानदार बनने के लिए, भ्रष्टाचार करना जरूरी है। ठीक वैसे ही देश के विकास के लिए, जनता-मीडिया-संस्थानो का, सरकार से डरना जरूरी है। हमारे देश की जनता, वै…
समस्या हैप्पी न्यू ईयर की ....
जब-जब नया साल आता है, मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जाती है। बात ही इतनी खतरनाक है। हैपी न्यू ईयर आता है और जेब को तरह-तरह से सैड कर जाता है। वैसे नया साल हो या साली, जेब पर दोनों ही भारी पड़ते हैं। नया साल केवल जेब ही नही काटता, बल्कि ढेर सारी परेशानियाँ भी बांटता है।…
. . . हैप्पी न्यू ईयर !! 2018
देश की मंहगाई से बेहाल देशवासियो को नये साल की बधाई। नये वेतन आयोग से खुशहाल सरकारी बाबुओं को हैप्पी न्यू ईयर। आजकल सभी लोग न्यू ईयर के हैप्पी होने की कामना कर रहे हैं। पुराने साल में हैप्पी न्यू ईयर के बाद तो सब सैड सैड ही रहा। कभी तेल के दाम ने बदहजमी की, तो कभी गैस (के दामों) ने पेट खराब किया।…
समस्या, एक ‘राष्ट्रीय समस्या’ की !
एकाएक हमारा राष्ट्र जैसे बिलकुल अनाथ सा हो गया है। ना कोई माँ, ना बाप, ना भाई, ना बहन। ना कोई खुशी, ना गम। ना कोई काम, ना आराम। हिंदुओं- मुसलमानों- सिक्खों- ईसाइयों की भीड़ में बिलकुल अकेला। ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों और शूद्रों से खचाखच भरे होने के बाद भी एक-एक भारतीय के लिए तरसता, बिल्कुल तनहा…
टेक्निकल लोचा.......
हमारे देश में तरह तरह के लोचे होते रहते हैं। कभी केमिकल लोचा हो जाता है तो कभी टेक्निकल लोचा। राजनीतिक और धार्मिक लोचे तो आए दिन होते ही रहते हैं। वैसे लोचा करने को लुच्चई कहते हैं कि नहीं ये नहीं पता। लेकिन इतना जरूर पता है कि लोचा और लुच्चई एक दूसरे के सगे-सम्बन्धी जरूर हैं और दोनों हमारे देश में …
हार की समीक्षा।
चुनाव खत्म हो गए। जीतने वाले तो राज कर रहे हैं, हारने वाले हार की समीक्षा। वैसे भी जब से हारे हैं, नेता जी मीडिया से भी दूर दूर ही रहते हैं। पता नहीं कब कौन हार का कारण पूँछने लगे। इसलिए हार के काफी दिनों बाद नेताजी बाहर निकले हैं। हार की समीक्षा करने के लिए। आनन फानन सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियो…
मुद्दे हजार, वोटर लाचार
इधर चुनाव का ऐलान हुआ, उधर जनता का भाव बेमौसम की सब्जियों की तरह आसमान पर जा पहुँचा। पाँच साल से नौकर से भी बदतर जीवन जीने को मजबूर जनता, अचानक अपने को अदानी-अंबानी की तरह मालिक समझने लगी है। पाँच साल से बिजली पानी को तरसती जनता, नेताओं को एक एक वोट के लिए तरसाना चाहती है। नेता भी पाँच हफ्ते, अपने क…
देश बचाने का मौसम.....
हमारा देश त्योहारों का देश है। मौसम के अनुसार यहाँ तरह तरह के त्योहार मनाये जाते हैं। कभी कभी ये लगता है कि जनता त्योहार मनाने के लिए ही पैदा हुई है। आजकल देश में चुनाव का त्योहार चल रहा है। जैसे हर त्योहार मनाने के कुछ कर्मकाण्ड होते हैं, वैसे ही चुनाव के त्योहार को मनाने के भी कुछ अलिखित परम्पराएं…
खुश है जमाना आज.....
खुश है जमाना आज पहली तारीख है। यह गाना 30-40 सालों के बाद 2017 मे जाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त हुआ है। पहली बार आम हों या खास, नेता हो या अभिनेता, गरीब हो या अमीर, नए साल पर सब खुश हैं। सरकार खुश है, विपक्षी खुश हैं। सरकार समर्थक तो खुश हैं ही, सरकार विरोधी भी खुश हैं। तकलीफ में लाइन लगने वाला कुछ क…
जनता उम्मीद से है........
हमारे देश में सबसे आसान काम अगर कोई है, तो वो है, जनता में उम्मीद जगाना। जनता बस तैयार बैठी रहती है, उम्मीद लगाने के लिए। बस एक- दो मुद्दे, तबीयत से उछालो। दो-चार बार गरीब-गरीबी, शोषित-पीड़ित, बैंक दिवाला- सरकारी घोटाला, मंदिर-मस्जिद, रोजगार-भ्रष्टाचार आदि का जाप करिए। वंशवाद-तानाशाही को गाली दीजिये,…
पहली नजर में.....
हमारे नौजवान युवक और युवतियां, इश्क और गणित दोनों साथ साथ सीखते हैं। जब वो किसी से नजरें मिलाते हैं तो साथ साथ गणना भी करते जाते हैं। पहली नजर। दूसरी नजर। तीसरी नजर आदि। हम लोग बचपन से सुनते आ रहे हैं कि पहली नजर में प्यार होता है। लेकिन आधुनिक शोध से यह बात पता चली है कि, चौथी नजर में जाकर प्यार हो…
मुबारक नया साल। पुराने का नहीं मलाल।
आप सभी को नया साल 2017 बहुत बहुत मुबारक हो। आखिर आपने साल भर कड़ी मेहनत मशक्कत से देश को भ्रष्टाचार के ऊपरी पायदानों पर रोके रखा। इतने सारे उतार चढ़ावों के बावजूद किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आने दिया। कालाधन - कालाधन करने वालों का मुँह काला कर दिया। हम सभी ने इसके लिए जान लगा दिया। अब …
कोई भी पाल्यूशन ! आड-ईवन साल्यूशन।
आम आदमी आजकल चूसा हुआ आम हो गया है। जिसे देखो उसे चूस चूस कर उसकी गुठली निकालने पर आमादा है। आम को पकाकर खाने के लिए जैसे कैल्सियम कार्बाइड लगाया जाता है, वैसे ही आम आदमी को प्रदूषित हवाओं से पकाकर चूसा जा रहा है। तरह तरह के पाल्यूशन से आम आदमी की हालत पके आम से भी बुरी हो गयी है। कहीं हवा का पाल्यू…
सेवलान का धुला
धुलना और धोना हम भारतीयों का जन्मसिद्ध अधिकार है। धोने और धुलने की कला का आविष्कार हम भारतीयों ने ही किया है और उसपे हमलोगों का ही कापीराइट है। दुनिया के लोग तो पानी या पेट्रोल से सफाई करते हैं, पर हम भारतीय, पता नहीं किस किस चीज से दूसरों को धोते हैं, साफ करते हैं। पुराने जमाने में लोग सफाई के लिए …
आपकी राय
Very nice 👍👍
Jabardast
Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up
बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष
अति सुंदर
व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!
Amazing article 👌👌
व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....
Excellent analogy of the current state of affairs
#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन
एकदम कटु सत्य लिखा है सर।
अति उत्तम🙏🙏
शानदार एवं सटीक
Niraj
अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।
अति उत्तम रचना।🙏🙏
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