Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

लोकतन्त्र का 'लीक'तंत्र !!

हमारा देश लोकतन्त्र की एबी'सीडी' सीखते हुये 'एमएमएस' काण्ड से आगे बढ़कर 'लीक'तंत्र तक पहुँच गया है। हमारा 'गण'तन्त्र तो पहले ही तांत्रिक नेताओं के चमत्कार से 'गन'तंत्र हो चुका है । 'लोक'तंत्र के शैशवकाल में नेताओं के सीडी लीक्स से ही काम चल जाता था, सीएजी रिपोर्ट लीक से ही सरकारें हिल जाया करती थी, कमेटियों की रिपोर्ट लीक से ही भूचाल आ जाता था। फिर 'विकीलीक्स' के लीक ने अंतर्राष्ट्रीय सरकारों की नींद हराम कर दी। कुछ महानुभावों की नींद तो आरटीआई की सूचनाएँ लीक होने से ही उड़ जाती थी।

फिर आया आज का नया भारत। डिजिटल इंडिया वाला भारत। जिसमें सीडी लीक, एमएमएस लीक सब ओल्ड फैशन हो गए है। अब आया है चैट लीक का जमाना। इसमें एसएमएस चैट, व्हाट्सप्प चैट लीक होने पर बवंडर हो रहा है। एमएमएस और सीडी लीक में 'फ़ीमेल' होने के कारण आग लग जाती थी, तो विकिलिक्स में देशों के 'ई-मेल' होने से तूफान आ जाता था। वैसे भी सीडी लीक के 'विषगुरु' हैं हम लोग। सत्तर सालों में, लोकतन्त्र भले मजबूत न हुआ हो, लीकतंत्र खूब फला फूला है।

लीकतंत्र, मोर के पंख में छिपे हुये कौवों को सबके सामने ले आता है। बड़े बड़े संतों-महंतो और बाल ब्रह्मचारियों की जब नारियों के साथ प्रेम-क्रीडा करते हुये सीडी या वीडियो लीक होता है, तब पता चलता है कि असली क्राइम मास्टर गो-गो तो यही शराफत की मूर्ति बने लोग हैं। जो बाहर से राम-राम, और अंदर से आशाराम हैं। वैसे राम-रहीम भी हो सकता है। सीडियों से ही पता चलता है कि दिन का ब्रह्मचारी ही रात का बलात्कारी है।

ब्रह्मचर्य, संस्कार और मर्यादा की ढ़ोल पीटने वाले संगठनों के कार्यकर्ताओं की जब सीडियाँ लीक होती हैं तब पता चलता है कि असली संस्कार क्या होते हैं। संजय जोशी, एनडी तिवारी, अभिषेक मनु सिंघवी आदि की सीडियाँ तो फिर भी महिलाओं के साथ रंगरेलियाँ मनाते हुये आई, लेकिन अस्सी वर्षीय राघव भाई की अपने सहायक के साथ सीडी लीक ने दिखाया कि आदमी होकर आदमी से प्यार करना क्या होता है। वैसे सेक्स सीडी और सियासत का बहुत गहरा संबंध होता है। दिल्ली के संदीप कुमार हों, राजस्थान के महिपाल मदेरणा (भंवरी देवी सीडी काण्ड वाले) हों या गुजरात के हार्दिक पटेल, एसी पूरी फेहरिस्त है जिनके कारण सेक्स सीडी लीक की सियासत में बहुत मांग बढ़ी है।

हमारे महान 'लीक'तंत्र में सिर्फ सीडियाँ ही लीक नहीं होतीं। और बहुत कुछ एसे लीक होते हैं जिससे लाखों करोड़ों लोग प्रभावित होते हैं। लोगों की जिंदगियाँ खराब हो जाती हैं, पीढ़ियाँ बर्बाद हो जाती हैं। इन लीकों में मुख्यत: दो लीक होते हैं। खरनाक गैस लीक और परीक्षाओं के पेपर लीक। भोपाल की यूनियन कार्बाइड कम्पनी में हुई गैस लीक का असर आज 35-40 साल भी महसूस किया जा सकता है।

पिछले साल ही गैस लीक के बहुत से हादसे हुये जिसमें लोग मारे गए या बीमार हुये। विशाखापत्तनम में एलर्जी पॉलीमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में स्टाइरिन गैस लीक (रिसाव) होने के कारण 10 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और कई लोग बीमार पड़ गए। प्रयागराज में इफको के प्लांट में अमोनिया गैस लीक (रिसाव) हो गया है जिसमें कई अफसरों की मौत और कई बीमार हो गये।

आए दिन होने वाले परीक्षा पेपर लीक, लाखों बच्चों और उनके परिवार का जीवन बर्बाद कर रहे हैं। कभी एसएससी का पेपर लीक, कभी रेलवे का। कभी किसी राज्य के पीएससी का पेपर लीक तो कभी किसी राज्य के। कभी शिक्षक भर्ती का पेपर लीक हो जाता है कभी लेखपाल भर्ती का। इस पेपर लीक से कोई भी परीक्षा या कोई भी संस्था अछूती नहीं रह गई है। और इस पेपर लीक के प्रभाव से ना कोई छात्र बचेगा, ना उसका परिवार। पेपरलीक महामारी की तरह फैलता ही जा रहा है, और बाकायदा व्यवसाय बन चुका है।

लेकिन आज हम लोग उछलकूद रहे हैं डिजिटल इंडिया के लेटेस्ट व्हाट्सप्प चैट लीक को लेकर। 500 पन्नों की अर्णव गोस्वामी के व्हाट्सप्प चैट लीक हुई है, जिसने दिखा दिया है कि हमारे सिस्टम में कितने छेद हैं। देश की नीतियाँ टीवी रूमों में बनाई जाती हैं। और सरकार के हर फैसले का पहले से ही चाटुकारों.... सॉरी पत्रकारों को पता होता है। कब देश आक्रमण करेगा, कब कोई बड़ी घटना होगी, टीआरपी एक्सपर्ट को सब पता होता है। कौन मंत्री नाकाबिल है और कौन ज्यादा नाकाबिल है, इसका पता हमें चैट लीक से चलता है।

अभी हम लोग जुकरु के व्हाट्सप्प के प्राइवेसी पालिसी से भागने का 'सिग्नल' ही दे रहे थे कि पता चला कि आइवेसी-प्राइवेसी सब माया है। दूसरे की प्राइवेसी की जानकारी से, लोगों ने बहुत माल कमाया है। आपके डाटा ने बहुतों को अरबपति बनाया है। जनता का डाटा तो चुनावों में भी बहुत काम आया है। कैंब्रिज एनालिटिका ने इससे जाने कितने मंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनाया है। आपके आधार डाटा का आटा तो पहले ही फैल चुका है।

अर्णव गोस्वामी के चैट लीक में हमलोग इतने मगन हुये कि अपने अपने डाटा लीक को भूल ही गए। जब आधार डाटा लीक होने की आशंका में प्राइवेसी के अधिकार की बात होती थी, तो अर्णव जैसे ज्ञानी ही इसको निराधार कहते थे। लोगों के घरों में जबर्दस्ती रिपोर्टर भेजने वाले, लोगों के पीछे जबर्दस्ती अपने रिपोर्टर लगाकर हगने-मूतने की खबर बनाने वाले के खुद की प्राइवेसी भी अब वैसे ही सरे बाज़ार है, जैसा वो दूसरों की प्राइवेसी के साथ करता था। इन चैट लीकों के बाद, मोर के पंख में छिपे हुये गिद्ध के बारे में थूकता है भारत......सॉरी, पूंछता है भारत, कि गुरु अब बताओ कैसा लगता है प्राइवेसी का बाजारीकरण? रिया चक्रवर्ती के चैट दिखाने वाले, अब आपको कैसा लग रिया?

हालांकि, जांच के दौरान पुलिस द्वारा सेलेक्टिव खबर लीक, आरोपी को मुजरिम सिद्ध होने से पहले ही आरोपी की जिंदगी तबाह जरूर कर देती है। आरोप मुक्त होने के बाद भी जांच-अधिकारियों द्वारा इस तरह की सेलेक्टेड लीक खबरों से आरोपी जीवन भर नहीं उबर पाता। और एसी लीकों पर पेट पालने वाले अर्णव जैसे लोग, उनका जीना और मुहाल कर देते हैं। तो फिर थूकता है भारत......सॉरी, पूंछता है भारत, कि क्या महान देशभक्त पत्रकार, दूसरे की जाँचों में सेलेक्टिव लीक होने वाली इन लीकों का अब भी उद्देश्य समझेंगे या इन लीकों से कमाई ही करते रहेंगे?

Go Back

Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19

हमसे संपर्क करें

visitor

896033

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...