Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

बाढ़ मुबारक !!!!

हमारा देश एक त्योहारों का देश है। यहां जन्म होने पर बारहवीं से लेकर मरने तक की तेरहवीं के बींच नाना प्रकार के त्योहार मनाये जाते हैं। हर त्योहार या उत्सव के अवसर पर लोग एक दूसरे को बधाईंयां देते हैं । कभी जन्म दिन की बधाई तो कभी शादी की। कभी शादी के साल गिरह की बधाई तो कभी तलाक की । बधाई देने और लेने में हमारे देशवासियों का कोई सानी नहीं है।

            आजकल हमारे नेता और अधिकारीगण एक दूसरे को अलग किस्म की बधाईंयां दे रहे हैं। वो है बाढ की बधाई ! जिन अधिकारियों और नेताओं के इलाके में बाढ का मनोरम दृश्य फ़ैला है। उन्हें आजकल दूसरे इलाके के अफ़सरों और नेताओं की ओर से बाढ आने का मुबारकबाद दिया जा रहा है। जिन इलाकों में बारिश नहीं हो रही है, वहां के अधिकारी और नेता यही मना रहे हैं, कि हे भगवान ! बाढ न सही, हमारे इलाके में हैजा, चेचक, प्लेग या अकाल ही कर दो। कुछ तो करम करो। आखिर घर परिवार चलाना है। मुई तनख्वाह से क्या होता है। बच्चों के मोबाइल बिल भर की ही तो होती है। अगर कोई आपदा नहीं आई तो घर का खर्च कैसे चलेगा।?

            इधर जब से पता चला है कि जम्मू कश्मीर के भूकम्प पीडि़तों को दी गयी मदद आतंकवादियों को मिल गयी । भारत सरकार परेशान है। क्योंकि इससे वह भारत को ही नुकसान पहुचांएगे। लेकिन सरकार को इससे कोई चिंता नहीं है कि राहत का पैसा और सामान मंत्री और अफ़सरों के पास पहुंच जायेगा । इसमें सरकार का क्या दोष ? अगर मदद जनता तक नहीं पहुंचती तो ये उनकी किस्मत है।

             हां तो बात, बाढ के बधाई की चल रही थी। आखिर बधाई क्यों न मिले ? बात ही खुशी की है। अब तक तो लोग फ़सलों के लिये, गर्मी कम करने के लिये, दिन रात इन्द्रदेव को मना रहे थे। अब इन्द्र देव खुश क्या हुए, मुई जनता बाढ - बाढ चिल्लाने लगी। अब बेचारे इन्द्रदेव क्या करें ? न बरसें तो अकाल । बरसें तो बाढ का बवाल। जबकि बाढ से सामाजिक समानता आती है। बाढ में कार वाला भी पैदल। बिना कार वाला भी पैदल। समान उंचाई के सारे घर ड़ूबते हैं, चाहे वह किसी अमीर के हों या गरीब के। दलित के हों या सवर्ण के।

            बाढ ग्रस्त इलाके के सभी अधिकारी खुशी से फ़ूले नहीं समा रहे। एक बडे अधिकारी साहब के घर में सुबह सुबह फ़ोन की घण्टी बजी। साहब ने फ़ोन उठाया- हैलो । दूसरी तरफ़ से आवाज आयी- बाढ आने की बधाई हो सर। मैं फ़ला ट्रेडर्स बोल रहा हूं। सर मैं कम्बल और कपड़ों का सप्लायर हूं। आप कपड़ों और कम्बलों का आर्डर मुझे ही दीजिएगा सर। मेरा पता फ़लां- फ़लां- फ़लां है। महोदय मैं सबसे ज्यादा कमीशन दूंगा। आप चाहेंगे तो मैं बिना सप्लाई किये ही बिल बना दूंगा। बस साहब हमारा ध्यान रखियेगा। साहब ने आश्वासन देकर फ़ोन रखा ही था कि फ़ोन की घण्टी फि़र घनघना उठी।

            साहब जरा सतर्क होते हुये  बोले,- हलो। दूसरी तरफ़ से आवाज आयी- सर, बाढ मुबारक हो। मैं फ़लां स्टोर से बोल रहा हूं। मैं अनाज का यानी गेहूं -चावल का सप्लायर हूं। बाढ पीडि़तों के लिये अनाज हमारे ही स्टोर को आर्डर करियेगा। जिस क्वालिटी का चाहेंगे, सब मिलेगा सर। कमीशन की कोई चिंता न करियेगा । बस थोड़ा हमारा ख्याल रखियेगा। बाकी आप जैसा चाहेंगे, हो जायेगा सर। साहब ने उसको भी आश्वासन देकर फ़ोन रख दिया। मगर इस खुशी की घड़ी में, फ़ोन कहां रुकने वाला था। फि़र घनघना गया।

            इस बार आवाज आयी- हलो अफ़सर! हम आपके इलाके का एमएलए बोल रहा हूं। आप चिंता ना करना । हम आपके साथ हैं। आज ही हम सरकार से हजार करोड़ रूपये की मदद मागूंगा। लेकिन अफ़सर हमको भूलना नहीं। हां, वो फ़लां सप्लायर मेरा भतीजा है। जरा उसका ध्यान रखना। अफ़सर बोले- नहीं भूलूंगा सर। मैं सब संभाल लूंगा। आप चिंता न करियेगा। आपका हिस्सा आपको पहुच जायेगा।

            नेताजी फि़र बोले- वो सब तो ठीक है। मेरे बच्चे और बीबी जरा हेलीकाप्टर में सैर करना चाहते हैं। मैं भेज रहा हूं। थोड़ा घुमवा दीजियेगा। साहब बोले- ठीक है सर। मैं हेलीकाप्टर में घुमवा दूंगा। पूरे इलाके की सैर करा दूंगा। और फ़ोन रख दिया। सैर का नाम सुनते ही, साहब के बच्चे भी उठ गये। वे भी हेलीकाप्टर पर सैर करने की जिद करने लगे। साहब का लडका बोला- डैडी मुझे भी बाढ देखना है। टीवी पर बाढ का सीन बड़ा ‘क्यूट’ लगता है। लोग पानी में कितना ‘एंजॉय’ करते हुए चलते हैं। मुझे भी हेलीकाप्टर में घूमना है।

साहब ने कहा -ठीक है । तैयार हो जाओ। सब चलेंगे। और बाढग्रस्त इलाके के दौरे के लिये हेलीकाप्टर के इंतजाम का आदेश दे दिया। साहब के जानने वालों का मुबारकबाद का संदेश आता रहा । और साहब सपरिवार दौरे के लिये निकल गये। जिन इलाकों में बाढ नहीं आयी,  वहां के अफ़सर और नेता भगवान से यही मना रहे हैं कि- “चेचक, प्लेग या कालरा, बाढ हो या भूचाल। चाहे पड़े अकाल ही, कुछ तो बनेगा माल ।” 

Go Back

Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec

हमसे संपर्क करें

visitor

896139

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...