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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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बनो जुगाड़ू, लगाओ झाड़ू !!

झाड़ू और जुगाड़ू, हमारे देश की दो अनमोल धरोहरें हैं, जिन्हें हमारे पूर्वजों ने अथक प्रयास और जुगाड़ से ईजाद किया था। जुगाड़ू हमारे कठिन से कठिन कामों को चुटकियों में कर देता है और झाड़ू से घर की सफाई तो होती है, आजकल झाड़ू से राजनीति भी हो रही है। वैसे अगर देखा जाए तो आजकल की राजनीति, झाड़ू और जुगाड़ू के भरोसे ही चल रही है। जिस पार्टी के पास जितने जुगाड़ू हों, उतने ज्यादा एमपी एमएलए जुगाड़ कर सरकार बनवा सकते हैं। और जिस आदमी में झाड़ू लगाने का (देश के खजाने को), हुनर जितना ज्यादा होता है, वो उतना ही बड़ा नेता बन सकता है।  

       जुगाड़ियों के बारे में तो कहा जा सकता है कि, “हर पार्टी में जुगाड़ियों की, होती है दरकार। हुनर से ये अपने बना, सकते हैं सरकार।” जो भी हो एक बात तो पक्की है कि जुगाड़ तकनीक की खोज हमारे ही महान देश वासियों ने की है। देशवासियों में भी स्पेशली हमारे होनहार नेताओं ने इसे सबसे पहले ईजाद किया होगा। हमारी बहुत सी सरकारें तो सिर्फ जुगाड़ के बल पर ही चलती रहीं हैं। जुगाड़ तकनीक का क्षेत्र बहुत ब्यापक हैऔर आजकल तो राजनीति में रैलियों से लेकर दंगों तक का जुगाड़ हो रहा है। जहाँ पर चुनाव हो वहाँ पर तो टिकट के लिए भी जुगाड़ू ढूँढे जाते हैं। लेकिन एसा बिलकुल नहीं है कि जुगाड़ू आसानी से मिल जाते हैं, बल्कि जुगाड़ू ढूँढने के लिए भी जुगाड़ लगाना पड़ता है।

       जुगाड़ तकनीक हमारे देश में इतनी फल-फूल गयी है कि छोटे से छोटा काम भी बिना जुगाड़ के नहीं हो पाता। किसी की डोली उठवाना हो (शादी करना हो) या अर्थी, जुगाड़ लगाना पड़ता है। नौकरी पाना हो या प्रमोशन, जुगाड़ लगाना पड़ता है। स्कूल में एडमीशन हो या मन्दिर में दर्शन, हर जगह जुगाड़ ढूँढना पड़ता है।

       जुगाड़ लगाने की तरह ही झाड़ू लगाना भी राजनीति में बहुतायत में पाया जाता है। आजकल झाड़ू ही राजनीति का पर्याय बन गयी है। कोई झाड़ू लेकर देश से भ्रष्टाचार भगाने में लगा है तो कोई झाड़ू लेकर देश की गंदगी साफ कर रहा है। जिसे मौका मिलता है देश के खजाने पर ही झाड़ू लगा जाता है। शायद ही कोई नेता हो जो किसी ना किसी तरह की झाड़ू ना लगा रहा हो। जिसे कहीं और झाड़ू लगाने को (हाथ साफ करने को) नहीं मिलता, वो डियो लगाकर चमचमाती झाड़ू हाथ में पकड़कर न्यूज चैनल वालों से फोटो खिंचवा रहा है।

       हमारे देश की बहुत सी सरकारों ने गंगा की सफाई के नाम पर देश के खजाने को खूब झाड़ू लगाया (साफ किया)। ये अलग बात है कि इन झाड़ुओं को धोते-धोते गंगा और मैली हो गयी। आजादी के बाद कांग्रेस ने गांधी जी का नाम लेकर दशकों तक देश पर झाड़ू फेरा, तो अब मोदी जी,गांधीजी के जन्मदिन पर पूरे देश में झाड़ू लगाने वाले हैं। एक न्यूज चैनल बता रहा था कि इस सफाई अभियान पर कुल दो लाख करोड़ खर्च होने हैं। अब ये तो जनता ही जाने कि सफाई अभियान में क्या क्या साफ होगा।

       लेकिन उपरोक्त बातों से ये तो जाहिर ही हो जाता है कि हमारे देश में झाड़ू और जुगाड़ू का क्या महत्व है? इसलिए हे पाठक गणों, या तो अपने इस नश्वर शरीर को झाड़ू बना कर देश के माल को साफ करो,या जुगाड़ू बनकर देश और अपने परिवार का नाम रोशन करो। जै झाड़ू और जुगाड़ू की......

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Comment

आपकी राय

फटाफट पेपर लीक हो रहे हैं और झटपट लोगों तक पहुंच जा रहे हैं खटाखट जनप्रति निधि माला माल हो रहे हैं निश्चित ही विश्व गुरू बनने से भारत को कोई माई का लाल रोक नहीं सकता।

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...