निन्दा रस का मजा सोमरस से भी ज्यादा आता है। यह एक सर्व सुलभ, सर्व ब्यापी, महंगाई से परे, सर्व ग्राही चीज है। निन्दा का आविष्कार हमारे देश में कब हुआ, यह तो परम निंदनीय ब्यक्ति ही बता सकता है। लेकिन आजकल इसका प्रयोग हमारे परम आदरणीय लोग खूब कर रहे हैं।
पाकिस्तान जब जब हमारी सीमा में घुसकर हमारे सैनिकों की हत्या करवाता है। तब तब भारत के परम पराक्रमी शूर वीर, दिल्ली की संसद में घोर निन्दा करते हैं। दिल्ली की गलियों में घूम घूम कर निंदा करते हैं। देश की रैलियों में बारम्बार निन्दा करते है। मुलायम निंदा से लेकर कठोर निंदा तक, निंदा करते हैं। कमजोर निंदा से लेकर घोर निंदा तक निंदा करते हैं। जो लोग निंदा नहीं करते, लोग उनकी भी जमकर निंदा करते हैं। इसी तरह अगर चीन भी हमारी सीमा में घुस आए तो वो भी बचता नहीं। हम लोग उन्हें भी नहीं बख्शते । हम लोग उनकी भी पानी पी-पी कर निन्दा करते हैं ।
पहले एसी घटनाओं पर हम लोग और विपक्ष, सरकार की खूब निंदा करते थे। लेकिन जब मोदी जी सरकार में आए तो, निंदा की दिशा विपक्ष की ओर मुड गयी। अब एसी घटनाओं के लिए विपक्ष की खूब निंदा की जाती है। विपक्ष से इस्तीफा मांगा जाता है। सरकार भी अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए, जमकर निंदा करती है। कभी नेहरू की निंदा। कभी इन्दिरा की निंदा। राहुल और सोनिया तो मोदी सरकार के लिए प्रात: निंदनीय लोग हैं। इनका हर प्रवक्ता, मंत्री, टीवी चैनलों पर इनकी गला फाड़-फाड़ कर निंदा करते हैं। सरकार कुछ करे या न करे, विपक्ष की निंदा जरूर करती है।
हमलोग क्या गज़ब की निन्दा करते हैं। बेचारे पाकिस्तानी और चीनी इस निन्दा से डरकर, पाकिस्तान और चीन का भारत में विलय करने की सिफ़ारिश कर रहे हैं। लेकिन हम लोग उसकी भी निंदा करते हैं। हमारी निन्दा मिशाइल से बाकी के देश भी इतने ज्यादा भयभीत हो गए हैं कि अमेरिका भी, एन्टी-निन्दा मिशाइल विकसित करने में लग गया है, क्योंकि उसे भारत के निन्दा मिशाइल जैसे आधुनिक और मारक अस्त्र के बारे में पता चल गया है।
निन्दा मिशाईल को घर में बैठकर ही दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने पर दागा जा सकता है। किसी भी मौसम में, कभी भी, अपनी सुविधानुसार। निन्दा मिशाइल, सभी मिशाइलों से ज्यादा मारक और परमाणु बम से भी ज्यादा घातक है। इसके इसी महत्व को देखते हुये हमारी सरकार ने, किसानों की भूमि का विधेयक या लोकपाल विधेयक भले ना पास किया हो, निन्दा प्रस्ताव बहुमत से एक क्षण में ही पास कर देती है।
कुछ निंदनीय लोग तो यह भी कह रहे हैं कि सरकार की चूक के कारण ही आतंकवादी, हमारे सैनिकों पर जानलेवा हमला करने में सफल हो जाते हैं। सरकारी एजेंसियों जैसे रॉ, आईबी आदि के फेलर से आतंकवादी अपने मंसूबों में सफल हो जाते हैं, इस पर सरकार की भी निन्दा की जानी चाहिए। शायद उन्हें पता ही नहीं कि निन्दा जैसे हथियारों का सरकार पर प्रयोग करना, आम आदमी को सीधे जेल भिजवा सकता है। वैसे भी निन्दा मिशाइल का प्रयोग सरकार का विशेषाधिकार है। और सरकार के पास पहले से ही, बहुत सी बातों के निन्दा प्रस्ताव पेंडिंग हैं।
अभी उसे विपक्ष कि निन्दा करनी है लोकपाल ना पास करने के लिए। रैलियों में पाकिस्तान की निंदा करनी है। चुनाव आ रहा है, चुनाव आयोग की भी निन्दा करनी होगी, बन्दिशें लगाने के लिए। उन पत्रकारों की निंदा करनी है, जो जनता के मुद्दे उठाते हैं। उन छात्रों की निंदा करनी है, जो दिन रात रोजगार- रोजगार चिल्लाते रहते हैं। किसानों की निंदा करनी है आत्महत्या करने के लिए। जनता की भी निन्दा करनी है, महँगाई और पेट्रोल के दाम पर चिल्लाने के लिए।
इतनी सारी परमावश्यक निंदाओं को छोड़कर, सरकार अब सैनिकों के मरने पर भी कुछ करे? कह तो दिया सैनिक तो मरने के लिए ही होते हैं। कुछ ने उस कहने की भी निन्दा कर दी। निंदा है, तो जिंदा हैं। अब क्या सरकार की जान लेंगे? मेरे जैसे तुच्छ कवि ने निन्दा के इस गुण को देखकर ही यह निंदनीय दोहा लिखा है:
निन्दक दिल्ली राखिए, संसद में बैठाय ।
बिन गोली-बंदूक के, दुश्मन देई उड़ाय ॥