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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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ना काहू का भांजा, ना काहू का दामाद !!

महाभारत काल से लेकर आधुनिक कलयुग तक, कंस व शकुनी मामाओं ने भांजों का जितना विनाश किया था, उन सबका बदला कलयुगी भांजे ने ले लिया। और मामा के रेल में एसा खेल खेला, कि रेल तो पटरी से उतरी ही, मामा भी कुर्सी से उतर गया। अब तक लोग कहते थे, कि पुत्र, कुपुत्र हो सकता है, लेकिन कोई यह नहीं कहता था कि भांजा, कुभांजा हो सकता है। अब तो कोई पवन बंसल जी से पुंछे, मामा होने का दुख।

बचपन में जब, चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा सुनते थे, तो नहीं जानते थे कि मामा ज्यादा प्यारा क्यों होता है? क्योंकि उसका सबसे ज्यादा ‘रिस्क फ्री’फायदा भांजे को होता है। रिस्कफ़्री इसलिए क्योंकि अगर पकड़े जाओ तो कह सकते हो हमारा उनसे कोई सीधा रिस्ता नहीं है। वो मेरे परिवार के नहीं हैं, आदि आदि। जहाँ तक चंदा मामा कि बात है, वह आसमान में भले रहता हो, लेकिन कुछ देता नहीं। लेकिन अगर मामा कोई नेता या मंत्री हो, तो भांजे को आसमान तक जरूर पहुँचा देता है। ये अलग बात है कि भांजे हमेशा से मामाओं को आसमान से जमीन पर लाते रहे हैं।

अगर मामा, देश का नेता या मंत्री निकल जाए, तो पूरे देश को मामा बनाने में समय नहीं लगता। मामा के अलावा जो सबसे प्रिय रिश्तेदार होते हैं, वो हैं सास-ससुर या ससुराल पक्ष के लोग। क्योंकि हर दामाद, ससुरालियों के दिलों पर तो कब्जा कर ही लेता है, लेकिन अगर सास-ससुर, नेता- मंत्री या सरकार में हों, तो देश की बहुत सी सरकारी- गैरसरकारी जमीन कब्जाने में भी वक्त नहीं लगता।

आज का जमाना तो भांजों और दामादों का है। मेरा तो मानना है कि दामाद बनो तो सिर्फ नेताओं और मंत्रियों का, नहीं तो आजीवन कुंवारा रहो। और कुंवारा रहो तो, अटल-मायावती-जयललिता-ममता जैसा, नहीं तो कुंवारा रहना भी बेकार है। मंत्री-नेता का दामाद बनने पर आप पूरे देश का दामाद बन जाते हैं। फिर देश की जिस चीज को चाहे, दहेज समझकर अपना हक जता सकता है। आप देश के कानून को साली समझकर, जितना चाहे छेड़-छाड़ कर सकते हैं। लेकिन शर्त यही है कि आप किसी दमदार नेता-मंत्री के दामाद हों।

भांजों और दामादों को इस देश के लोग हमेशा से सर-आँखों पर बिठाते रहे हैं। अब मामा तो आप अपनी पसंद से पैदा नहीं कर सकते, लेकिन सास-ससुर बनाना तो आपके अपने हाथ में है। इसीलिए तो कहा जाता है कि अगर बाप गरीब हो तो ये आपकी किस्मत है, लेकिन अगर ससुर गरीब हो, तो ये आपकी बेवकूफी है। इसलिए बेवकूफों की जमात में शामिल होने की बजाय, बुद्धिमान बनिये। मौसम भी शादियों का चल रहा है तो बन जाइए किसी योग्य सास-ससुर के दामाद। और कर लीजिए देश को अपनी मुट्ठी में, दहेज समझकर। क्या कहा? दहेज गैर कानूनी है। अजी छोड़िए। दामादों के लिए कानून ही गैर कानूनी है.... ।

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Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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