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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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तलाश एक मुद्दे की !!

      शादी के लिये घोड़ी की, कील के लिये हथोड़ी की, टिकट के लिये सिफारिश की, फसल के लिये बारिश की, रज़ाई के साथ गद्दे की जितनी जरूरत होती है, उतनी जरूरत चुनाव जीतने के लिये  मुद्दे की होती है। तो आजकल सभी नेताओ को एक अदद मुद्दे की तलाश है। क्योंकि सभी को सत्ता की प्यास है। किसी को मंदिर की, तो किसी को धर्मनिर्पेक्षता की  आस है। सत्ता की चाभी जनता के पास है। जनता भले ही बिजली, पानी से निराश है। परन्तु उसे मुद्दे और वादों से ही आस है। इसलिए सभी को एक अदद मुद्दे की तलाश है।

      विद्वान लोग कह रहे है कि आजकल मुद्दो का टोटा है। इसलिए नेताओं का दिल छोटा है। मगर नेताओं को पता है कि बिना मुद्दे के दिल टोटे– टोटे हो जाएगा। इसलिए सभी अपने लेवल के अनुसार मुद्दे उछाल रहे है। कुछ पुराने पर चल  रहे है, तो कुछ नए मुद्दे संभाल रहे है।

      भाजपा का मुद्दा है कि उसने अपने शासन काल में देश को इतना पालिश लगाया कि देश शाइनिंग कर रहा।(चूना लगाना वैसे भी ओल्ड फैशन है।) हर आदमी हाथ में मोबाइल लेकर ठुमक रहा है। विदेशी सामान और कंपनियाँ देश का उदय कर रही है। और जनता तो इंपोर्टेंड सामानों से फीलगुड़ कर रही हैं। राजग ने इतनी सड़के बनवाई, कि पांच साल में ही सारी जनता सड़क पर आ गयी।  जो बची है वह भी अगले कार्यकाल में रोड़ पर आ जाएगी। त्याग उनमें कांग्रेस से ज्यादा है। कुशवाहा जैसे हर पार्टी त्यागी को गले लगाने का इरादा है। मंदिर और धारा 370 को त्याग दिये है। किसी और पार्टी ने इतने त्याग किए हैं? उसके लिए विकास बहुत अहम है। सत्ता से दूर रहने का बहुत गम है।

      कांग्रेस के पास तो मुद्दों की भरमार है। आखिर उसकी सरकार है। वैसे भी चुनाव में मुद्दे गढ़ना सबका जन्म सिद्ध अधिकार है। उसे विदेशी मूल का मुद्दा स्वीकार्य नहीं है। दूसरे पार्टी के नेताओं की शुद्धता पर एतबार नहीं है। सभी विदेशी चीजों से प्यार हैं। इंपोर्टेंड सामानों की दरकार है। कांग्रेस के पास भी मुद्दों का अभाव नहीं है। कोई बात नहीं गर आजकल राव नहीं हैं। फिर भी टू जी और कामनवेल्थ जैसा कर दिया घोटाला। कालेधन पर बाबा रामदेव का कर दिया मुंह काला। अन्ना जी की लड़ाई बड़ी हो गयी। लोकपाल की खटिया खड़ी हो गयी। कांग्रेस का मुद्दा है कि वह जनता को झटका लगने भर की पर्याप्त पानी बिजली देगी। डूब मरने को पर्याप्त पानी दिलायगी। हर हाथ को काम मिलेगा। (यानी हर हाथ के उम्मीदवार को मंत्री पद मिलेगा।) बंद कारखानों के ताले खुलेंगे। आखिर कांग्रेश को ताले खुलवाने का अनुभव जो है। जब बाबरी मस्जिद का ताला खोल दिया तो कारखानों के ताले में क्या है? अब जनता ही जाने, कि किस पर लॉक किया जाये!

      अपने भाई और सुपुत्र के साथ मुलायम सिंह, कांग्रेस का वंशवाद मिटा रहे हैं। बेगारी भत्ते देने की आस दिला रहे हैं। जीतने पर सबको टैबलेट दिलाएँगे। साइकिल में डायनमो लगाकर, सबको बिजली दिलाएँगे। यूपी से भ्रष्टाचार मिटाएँगे। धर्मनिरपेक्षता लाएँगे।

      मायावती अपने जन्मदिन पर केक काटकर दलितों को सामाजिक समानता दिला रही हैं। सत्ता के लिए मनुवादियों के गले लगकर बाबा साहब का सपना साकार बना रही हैं। हाथी की सूंड का ऊपर नीचे होना उनका मुद्दा है। जीते जी अपनी मूर्ति को माला पहनाना उनका माद्दा है।

      सभी विद्वानो में इस बात पर मतभेद है कि, चुनाव मुद्दे पैदा करते हैं? या मुद्दे, चुनाव पैदा करते हैं। शोध जारी है। जनता के लिए समस्याये, मुद्दा हैं। नेताओं के लिए मुद्दे ढूँढना समस्या है। मुद्दे के बिना, बेकार अनशन और उपवास है। इसलिए हर पार्टी को एक चुनाव जिताऊ मुद्दे की तलाश है।

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Comment

आपकी राय

फटाफट पेपर लीक हो रहे हैं और झटपट लोगों तक पहुंच जा रहे हैं खटाखट जनप्रति निधि माला माल हो रहे हैं निश्चित ही विश्व गुरू बनने से भारत को कोई माई का लाल रोक नहीं सकता।

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...