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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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गर्व से कहो, हम नेता हैं.....

गर्व करना हमारे देश वासियों का जन्म सिद्ध अधिकार है। हमारी धरती कभी भी एसे गर्व वीरों से खाली नहीं रही। हमें हर काल और परिस्थिति में गर्व करने का हुनर आता है। या यूं कह सकते हैं की हम हर चीज में गर्वित होने का कारण खोज ही लेते हैं। कोई मर जाए तो इस बात पर गर्व कर लेते हैं कि मरने वाला भले ही भूंख से, गरीबी से मर गया हो, पर उसने अपना स्वाभिमान नहीं छोड़ा। कोई पैदा हो तो इस बात पर गर्व कि पुत्र रत्न या कन्या लक्ष्मी आई है। शादी ब्याह में दहेज देकर भी और लेकर भी गर्व करते हैं। यहाँ तक कि दहेज ना लेकर तो और भी गर्व करते हैं। बच्चा स्कूल में टाप करे तो गर्व। फेल हो जाए तो इस बात का गर्व कि फेल हो गया पर नकल नहीं किया। अब यह कौन पूंछेगा कि भाई नकल के लिए भी अकल की जरूरत होती है।

      लब्बोलुआब यह है कि हम भारत के लोग, किसी भी चीज पर गर्व कर सकते हैं। कभी कभी तो हम लोगों को खुद पता नहीं होता कि हम कितने गर्वीले काम करते हैं। जैसे कि मैं पिछले बीस साल से वोट दे रहा हूँ, लेकिन इस बार चुनाव में एक नेताजी ने कहा, गर्व से कहो हम वोटर हैं। एक नें कहा, गर्व से कहो तुम एक युवा वोटर हो। तब जाकर मुझे अपने गर्वीलेपन का पता चला। फिर मुझे अपने पिताजी कि याद आई कि यदि मुझे युवा वोटर होने का गर्व है, तो बुजुर्ग वोटर होकर उन्हें क्या होगा? और मेरा बेटा जो वोटर नहीं है, उसे क्या होगा?

      वैसे हम भारतीयों को अगर किसी चीज पर गर्व नहीं होता तो वो हैं हमारे आज के नेता। क्योंकि नेता एक दूसरे को खुद ही सबसे शर्मनाक जीव प्रमाणित करने पर तुले रहते हैं। ये बात अलग है कि यही नेता रूपी जीव, मुझ जैसी नाचीज जनता को हर बात पे गर्व करने का नुस्खा बताते रहते हैं। गर्व से कहो हम ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र हैं। यहाँ तक कि गर्व कराने के लिए अलग अलग जातियों के सम्मेलन भी नेताजी कराते ही रहते हैं।

      नेताजी, हमारी जनता में इतना गर्व भरते हैं कि अब जनता को भी कहना पड़ेगा कि गर्व से कहो हम नेता हैं। आखिर इन नेताओं के कारण ही हमें पता चलता है कि हमें किस किस चीज पर गर्व करना चाहिए। किस भाषा, धर्म और जाति पर गर्व करना चाहिए इसका पता तो हमें नेताओं से ही चलता है, वरना मूर्ख जनता को क्या पता कि अपने देश पर भी गर्व किया जा सकता है। इसलिए हमें अपने इन मूर्धन्य नेताओं पर गर्व करना चाहिए, जिन्होंने जनता को गर्व करना सिखाया।

      देश पर गर्व करते करते एक नेता ने ताजा ताजा गर्व किया है कि जब अमेरिका में रहने वाला अमरीकी, जर्मनी में रहने वाला जर्मन, पाकिस्तान में रहने वाला पाकिस्तानी, तो हिंदुस्तान में रहने वाला हिन्दू क्यों नहीं कहा जा सकता?मुझ जैसी गँवार जनता को तो जहाँ तक ब्याकरण आता है उसके हिसाब से हिंदुस्तान में रहने वाले को हिन्दुस्तानी कहा भी जाता है और यही होता भी है, नहीं तो पाकिस्तान में रहने वाला “पाकि” और जर्मनी में रहने वाला “जर्म” कहलाता। फिर भी हमें अपने नेता पर कम से कम इस बात का गर्व है कि उन्होने हिंदुस्तान को आधार मानकर हिन्दू बनाया है, हिन्दू को आधार मानकर हिंदुस्तान नहीं बनाया....

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Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...