जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ।
केवल फतह, फरेब से, हर बार नहीं होती।
खुद पे हो भरोसा और, जज्बा बुलंद हो,
उसको किसी मदद की, दरकार न…
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Blog posts : "गजल "
जनता की आह यूँ ही, बेकार नहीं होती ....
लोग मरते रहे ....
लोग मरते रहे, छटपटाते रहे।
अपने-अपने मसीहा, बुलाते रहे।
वक्त ही ना मिला, उन मसीहाओं को,
और दरिंदे तो, लाशें बिछाते रहे।…
हम आदमी ही आदमी का, मांस खा रहे हैं....
एक दूसरे को हिंदू , मुस्लिम जला रहे हैं।
हम आदमी ही आदमी का, मांस खा रहे हैं।
है कौन बड़ा दोषी, और कौन मसीहा है?
जब मिलक…
चन्द चेहरे जो, तमतमाए हैं...
चन्द चेहरे जो, तमतमाए हैं।
आइने शाह को, दिखाये हैं। (1)
साजिशें देखना, हवाओं की,
आंधियों में, दिये जलाए हैं। (2)…
हर कीमत पर जो बिकने को...
हर कीमत पर जो बिकने को, बैठे हैं बाजारों में।
भ्रस्टाचार वो ढूंढ रहे हैं, औरों के किरदारों में।
जिनको हम समझे थ…
हम उनका कहना तो, हर बार मान लेते हैं.
हम उनका कहना तो, हर बार मान लेते हैं.
जो झूठे वादों से, हम सबकी जान लेते हैं.
कहा था जनता के, खाते में पैसे आयेंगे,
वो नोट बन्द…
…मुद्दों पे बातें, मना है।
आजकल के मुद्दों पे, बातें मना है।
क्योंकि ये सरकार की, आलोचना है।
मर गये सैनिक, तो जी डी पी घटेगी?,
कृषकों के मरने से…
वादों का कभी, हिसाब नहीं मिलता
उनके वादों का कभी, हिसाब नहीं मिलता।
सवाल तो बहुत हैं, पर जबाब नहीं मिलता।
जो भी विपक्ष में हैं, बस वो ही भ्रष्टाचारी,…
यूँ तो मयखाने से हम दूर बहुत रहते हैं
यूँ तो मयखाने से, हम दूर बहुत रहते हैं।
तेरे नशे में मगर, चूर बहुत रहते हैं।
हम तो फौलाद को भी, मोम बना सकते हैं,
इश्क की राह म…
फिरता है...
वो मेरे कत्ल का, सामान लिए फिरता है।
सिर्फ हिंदू, या मुसलमान किए फिरता है।
जवानियों में, वो ढूँढे हसीन कातिल को ।
अपने …
उनकी नजरों का.......
उनकी नजरों का जब से, इशारा हुआ।
दिल मुहब्बत का तब से, है मारा हुआ।
बस यही एक दौलत, कमाई थी जो,
अब ये दिल बेवफा भी, तुम्हारा हुआ।…
इस आशिकी में....
इस आशिकी में हाल जो, दिल का हुआ, हुआ।
मत पूँछिये मुझसे कि, मुहब्बत में क्या हुआ।
ताउम्र चलेगी ये, गमे इश्क की दौलत;
खायें…
किसानों पे सियासत
लाचार सी , मायूस, नजर देख रही है।
मिलती जिधर मदद है,उधर देख रही है।
एक दूसरे पे थोप के, इल्जाम पे इल्जाम;
हर मुद्दे से , बचने का, हुनर देख …
वो है ईमानदार, जो, पकड़ा ना गया हो.......
किस काम जवानी है, जो ज़ुल्फों में ना उलझे,
और हुस्न के फंदे में जो, जकड़ा ना गया हो।
पानी से भी कमतर है, वो खून जिस्म का
से…
आँखों में नहीं......
आँखों में नहीं, दिल में, उतर जाएँ कभी तो
दरवाजे खुले हैं, वो इधर आयें, कभी तो ।।
मुमकिन नहीं है, मंजिले पाना तो क्या हुआ?…
सियासत की फसल
लाशों पे, सियासत की फसल, बो रहा है वो ।
जलते शहर में भी, सकूँ से, सो रहा है वो ॥
किलकारियाँ भरते थे जो, आबाद गली में ,
बस्ती मे…
है बहुत दुशवार जीना........
है बहुत दुशवार जीना, घर के वीराने से,
जिंदगी आबाद होती, बस तेरे आने से !!
बस तुम्हारी ही खुशी है, इस जहां में बेहिसाब ,…
जताते नहीं हैं लोग ......
दिल में है किसके क्या? ये जताते नहीं हैं लोग !
होंठों पे दिल की बात भी, लाते नहीं हैं लोग !
खुद कुछ ना करें, सबकुछ भगवान से चाहें,…
आईने साफ करते हैं।
सियासत से नफरत, भले हो सभी को,
मगर हम सियासत, की ही बात करते हैं।
सजा के हैं काबिल, गुनहगार जो,
वही बेगुनाहों की, सजा माफ करते हैं।…
हम उनसे मुहब्बत का...
हम उनसे मुहब्बत का, इजहार ना कर पाए।
दिल में ही रही चाहत, एक बार ना कह पाए।
चाहा तो बहुत दिल का, हम हाल बताएंगे,
कोशिश भी किया लेकिन, हर …
आपकी राय
Very nice Sir, you always highlight important point of the country.
भाई रावण कब तक जलाएंगे लाखों खुले आम घूम रहे हैं उनका क्या होगा और कब होगा??
Wha kya baat hain.
एकदम झन्नाटेदार थप्पड़ की तरह रसीद किया है भाई आपने ये जागरूकता चरस भरा व्यंग्यात्मक लेख। उम्मीद है कि hard-core चरसीयों पर भी भारी पड़े आपका ये जागरूक करने वाला चरस।
आप का व्यंग्य बहुत अच्छा है ,एक चुटकी चरस का असर बहुत है।
Jara saa vyngy roopi charas bhii chakh lenaa chahiye .Dil khush ho jaataa hai.bahut khoob kaha......
सटीक व्यंग्य। फ़िल्म में किसी महा पुरूष या स्त्री का किरदार निभाकर क्या वास्तविक जीवन में भी वैसा होने का दावा कर सकता/सकती है। इसके नकारात्मक पहलू को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता । डायन/ चुड़ैल/ वेश्या / चोर/ डकैत/ बलात्कारी का किरदार निभाने वालों के बारे में केवल कल्पना करें तो...
Bahut khub sir
वास्तविकता यही है। सम्मान की भावना नहीं है कहीं भी।
Good analysis sir, amazing
Waw that's so funny but to the point
Bahut badia samman
Ati uttam sir
उचित कहा, यह हमारी विडंबना है कि हमें हिन्दी पखवाड़ा मनाना पड़ता है |
बहुत सुंदर प्रस्तुति। वास्तव में ये बड़ी विपरीत धारणा हमारे देश मे है कि हिन्दी भाषी लोग पिछड़े होते है शायद इसी कारण अंग्रेजी में बात करना लोग अपनी शान और अग्रिम पंक्ति में बने रहना मानते है। आपको बहुत बधाई। आगे भी आपकी व्यग्य यात्रा और विकसित स्तर पर पहुचे। शुभकामनाये
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