Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

सारे मसले, बारी बारी लिया करो......

सारे मसले, बारी बारी लिया करो।
बस चुनावकी ही, तैयारी किया करो।

देशभक्ति कब तक बस, चमचागीरी से,
नेताओं से कुछ, गद्दारी किया करो।

पब्लिक वब्लिक क्या है, नारों की भूंखी,
इनको बस वादे, सरकारी किया करो।

गाय कटे या, नाम पे उसके लोग कटें,
तुम तो बस, पूजा-अफ्तारी किया करो।

लटके फांसी पर किसान, तो मरने दो,
तुम देशभक्ति के फतवे, जारी किया करो।

कौन लुटेरा खूनी जाने, कल संसद में बैठेगा,
गुण्डों की भी थोड़ी, खातिरदारी किया करो।

राष्ट्रवाद में देख तरक्की, चमचों की,
'जानी' भइया, दिल मत भारी किया करो।

Go Back

Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54

हमसे संपर्क करें

visitor

891329

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...