Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

शराफत देख बन्दों की.......

शराफत देख बन्दों की, हुआ करतार सदमें में ।
वफ़ा का हश्र वो देखा, कि है एतबार सदमें में ।

हैं जीते खाप के ही खौफ़ में, कानून और प्रेमी,
कहीं सदमें में है दिलवर, कहीं दिलदार सदमे में ।

डकैती,  खून,  चोरी,  रेप, साजिश,  से भरे देखो,
कहीं टीवी है सदमें में, कहीं अख़बार सदमें में ।

बदलता वक्त का पहिया, ना होता एक सा हरदम,
कभी जनता है सदमें में, कभी सरकार सदमें में ।

मुहब्बत और वफ़ा, दौलत से, आंकी जा रही है जब,
लगी है प्यार की बोली, तो अब है, प्यार सदमें में ।

रही बिक कोंख माँ की, और बच्चे भी यहां बिकते,
बेंचकर रिश्ते और जज्बात भी, बाजार सदमें में।

जिगर के टुकड़े पे जिसने, किया कुर्बान खुशियों को,
उसी ने जब से छोड़ा है, तो माँ बीमार सदमें में।।

गुजारी जिंदगी जिसने, आस में सिर्फ कुर्सी की,
नहीं कुर्सी मिली तो, चल पड़े हरिद्वार सदमें में ।

तरक्की देख चमचों, बेईमानों और भ्रष्टों की,
दबाकर दांत में उंगली, खड़ा खुद्दार सदमें में ।।

वकीलों, मुंसिफ़ों, छोड़ो ये ड्रामे, और मत खेलो,
अभी तक ना हुआ कोई भी, गुनहगार सदमें में ।।

कहीं नक्सल, कहीं आतंक, या माओ का डर फैला,
कहीं रविवार सदमें में, कहीं बुधवार सदमें में ।

न है सरकार को चिंता, न जनता को फ़िकर कोई,
जो सोचे देश की हालत, वही हर बार सदमें में ।

न बदलेंगे कभी हम-तुम, मगर ये वक्त बदलेगा,
तो छोड़ो देश की चिंता, न हो बेकार सदमें में ।।

चलो मयखाने, सुलझातें हैं 'जानी', देश के मसले,
बुला लो शाकी को, और पैग लो, दो-चार सदमें में।

Go Back



Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972

हमसे संपर्क करें

visitor

891631

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...