छिप कर के दुश्मनों से ,कब तक रहोगे घर में ,
कुछ हम भी हैं,दुनिया को दिखा क्यों नहीं देते
बीमार को, अब जहर पिला क्यों नहीं देते
है तुमको अगर, देश को अब शान्त बनाना
तो पाक को फिर खाक बना क्यों नहीं देते
है देश से गर तुमको, गरीबी को हटाना
सिर धड़ से गरीबों का, उड़ा क्यों नही देते
बनने का धनीं तुमको, अगर है कोई सपना
बीबी- बहन को, घर में जला क्यों नहीं देते
है देश की जनसंख्या अगर देश की दुश्मन
आतंक-वाद को भी , बढा क्यों नहीं देते
करना हो अगर राज ,कभी देश में तुमको
भाई से फिर भाई को, लड़ा क्यों नहीं देते
करने का कत्ल तुमको है, इतना जो शौक 'जानी'
मुर्दों को ,फिर कब्रों से, जिला क्यों नहीं लेते
बीमार को अब , जहर पिला क्यों नहीं देते