बारी -बारी देश को लूटें, बनी रहे अपनी जोड़ी।
तू हमरे जीजा के छोड़ा, हम तोहरे जीजा के छोड़ी।
एक सांपनाथ एक नागनाथ, एक अम्बेदकर लोहियावादी,…
बारी -बारी देश को लूटें, बनी रहे अपनी जोड़ी।
तू हमरे जीजा के छोड़ा, हम तोहरे जीजा के छोड़ी।
एक सांपनाथ एक नागनाथ, एक अम्बेदकर लोहियावादी,…
हिन्दुस्तान में हिन्दी का, आज हो रहा यह सम्मान
हिन्दी पखवाडे के अलावा, हिन्दी कभी ना आये ध्यान
भाषण में हम कहते, ‘हिन्दी, बहुत सुबोध, सरल है’…
किसे चाहिए वैरागी ? हर दल मांगे, केवल दागी।
जिसके पास है पैसा-पावर, जनता उसके पीछे भागी।
जाति-धर्म-धन जनता देखे, और नहीं कुछ जाँचें, …
बटला पे रोई सोनिया, ये एहसान बहुत है।
शायद चुनाव क्षेत्र में, मुसलमान बहुत हैं।
बरसों पुराने जख्म, चुनावों में कुरेदो…
हालात कुछ एसे बनाए जा रहे हैं ।
कटघरे में राम लाये जा रहे हैं ।
ईमान जिसमें बाकी है, शूली पे वो चढ़ेगा
कर्तव्यनिष्ठ या देशभक्त, बेमौत ही भरे…
तम दूर देश का करने को
भेद, बींच का, हरने को
देश प्रकाशित, करने को
मातृ-भूमि हित, मरने को
धरा समान, धीर चाहिए…
अम्बर के आंसू सूख गये
तारो ने हंसना बंद किया
पुष्प गंध प्रेमी उधौ ने
अब तो बारूदी गंध पिया
कलियों ने घुंघट तोड दिये…
वतन हिन्द था बहुत सुहावन। बहत जहा गंगा जल पावन ॥
जाति धर्म की चर्चा नाहीं। ईर्ष्या, द्वेष ना भारत माहीं ॥
मिलि जुलि रह…
छिपकर के दुश्मनों से, कब तक रहोगे घर में
कुछ हम भी हैं दुनिया को, दिखा क्यो नहीं देते
बीमार को अब जहर, पिला क्यों नहीं देते? …
नहीं खाद पानी, न उपजाऊ मिट्टी
पौधे- पे- पौधे, लगा क्यूँ रहे हो?
न आंधी पे काबू, न बरखा पे काबू
सरस को कंटीला, बना क्यूं रहे हो?…
कैसे हम गणतन्त्र मनायें? कैसे हम गणतन्त्र मनायें?
संविधान की, लाज नहीं है
गांधी,नेहरू, आज नहीं हैं
जनता का भी, राज नहीं है…
सोते से लोग, जगने को, मजबूर क्यों हुये
सत्ता के मद में, नेता सब, चूर क्यों हुये ??
जनता को आज अनशन का, अधिकार क्यों नहीं
भाषण से मिलता है राशन, भाषण से रोजगार
भाषण सुन सुन करके जनता, सहती अत्याचार
आरोप-आंकड़ो में फँसकरके, घनचक्कर है जनता…
लावा दिल में फूट रहा है,
बांध सब्र का टूट रहा है
देश को नेता लूट रहा है
साथ सत्य का छूट रहा है
पर आँख बंद किए रहते है।
देश की चिंता में, घुल रहे हैं हम!!
हर तरफ बह रही गंगोत्री भ्रष्टाचार की है
बड़े ही शान से बहती गंगा में, हाथ धुल रहे हैं हम।…
थप्पड़ की गूंज देश में, हलचल मचाएगी।
सोते हुये लोगों को, शायद जगाएगी।
सरकार गर जनता को, एकदम भुलाएगी।
पाँच साल तक जनता , कहाँ जाएगी ?…
कैसा होगा नया साल यह, कैसा होगा नया साल?
जैसा भी हो नया साल,पर सबको मेरी बधाई
सदा आपके आंगन बाजे, खुशियों की शहनाई
कितनी खुशियां मिल जाती है
जब चुनाव-दुल्हानियाँ आती है
माहौल गरम हो जाता है
इतना दहेज ये लाती है ॥
जातिवाद और कटुता का, खतम तनाव हमेशा हो…
भूंख, गरीबी, भ्रष्टाचार को, घुट-घुट कर यूं, सहना है?
भारत के भाग्य विधाता बोलो, कबतक यूं चुप रहना है?
महंगाई में पिसकर अब तो,…
फटाफट पेपर लीक हो रहे हैं और झटपट लोगों तक पहुंच जा रहे हैं खटाखट जनप्रति निधि माला माल हो रहे हैं निश्चित ही विश्व गुरू बनने से भारत को कोई माई का लाल रोक नहीं सकता।
Very nice 👍👍
Jabardast
Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up
बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष
अति सुंदर
व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!
Amazing article 👌👌
व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....
Excellent analogy of the current state of affairs
#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन
एकदम कटु सत्य लिखा है सर।
अति उत्तम🙏🙏
शानदार एवं सटीक
Niraj
अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।
979319