Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

अपना संविधान है.... (संविधान दिवस पर )

अपना संविधान है.... 

सबको गरिमा से जीने का,
हक देता संविधान है।
वर्ण-लिंग या जाति-धर्म सब,
उसके लिए समान है।

वैज्ञानिक चेतना बढ़ाए, 
मानवता समझाए।
समता,स्वतंत्रता,अभिव्यक्ती
और बंधुता लाए।

रोके, सबको आडंबर से, 
शोषण से मजदूरों को। 
भेदभाव ना, मिले बराबर
न्याय सभी मजबूरों को।

संविधान के आगे कोई 
छोटा, ना ही महान है। 
सबको गरिमा से जीने का,
हक देता संविधान है।
 
सबके कर्तव्यों को बताए,
अफसर नेता या मजदूर।
फर्ज और अधिकारों में भी,
साम्य बनाए है भरपूर।

अवसर की समता दे सबको,
सभी तरह का न्याय दे।
देश एकता और अखंडता,
भाईचारे का भाव दे।

एक वोट का हक सबको दे,
निर्धन या धनवान है।
सबको गरिमा से जीने का
हक देता संविधान है।

शोषित-वंचित-महिलाओं को,
हक-सम्मान दिलाया।
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम,
देश अखण्ड बनाया।

बने आधुनिक भारत जिसने,
ऐसी राह दिखाई।
सभ्य सुसंस्कृत बने नागरिक,
छोड़ सभी कबिलाई।

बातें वही मानता "जानी", 
जो सम्मत विज्ञान है। 
सबको गरिमा से जीने का,
हक देता संविधान है।

Go Back

Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d

हमसे संपर्क करें

visitor

897163

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...