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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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........... मजबूर क्यों हुये ??

सोते से लोग, जगने को, मजबूर क्यों हुये
सत्ता के मद में, नेता सब, चूर क्यों हुये ??

जनता को आज अनशन का, अधिकार क्यों नहीं
जनता की मांग सुनती ये, सरकार क्यों नहीं ??
जनतंत्र में, जन-तांत्रिक, ब्यवहार क्यों नहीं
सरकार को दिखता ये, भ्रष्टाचार क्यों नहीं ?

जनता की चीख, कान तक, सरकार के न पहुंचे
‘जन-सेवा’में ही, जनता से, दूर क्यों हुये ??
सोते से लोग, जगने को, मजबूर क्यों हुये
सत्ता के मद में, नेता सब, चूर क्यों हुये ??

घोटाले, भ्रष्टाचार से, ये जनता त्रस्त क्यूँ
घोटालेबाज,भ्रष्ट जो, वो आखिर मस्त क्यूँ
फुरसत  नहीं  सरकार को, जनता के लिए है
लोगों की बात ना सुने, इतनी भी ब्यस्त क्यूँ

सोती रही सरकार, चिल्लाती रही जनता
सेवा में लूट, देश की, भरपूर क्यों हुई ?
सोते से लोग, जगने को, मजबूर क्यों हुये
सत्ता के मद में, नेता सब, चूर क्यों हुये ??

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Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

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