सोते से लोग, जगने को, मजबूर क्यों हुये
सत्ता के मद में, नेता सब, चूर क्यों हुये ??
जनता को आज अनशन का, अधिकार क्यों नहीं
जनता की मांग सुनती ये, सरकार क्यों नहीं ??
जनतंत्र में, जन-तांत्रिक, ब्यवहार क्यों नहीं
सरकार को दिखता ये, भ्रष्टाचार क्यों नहीं ?
जनता की चीख, कान तक, सरकार के न पहुंचे
‘जन-सेवा’में ही, जनता से, दूर क्यों हुये ??
सोते से लोग, जगने को, मजबूर क्यों हुये
सत्ता के मद में, नेता सब, चूर क्यों हुये ??
घोटाले, भ्रष्टाचार से, ये जनता त्रस्त क्यूँ
घोटालेबाज,भ्रष्ट जो, वो आखिर मस्त क्यूँ
फुरसत नहीं सरकार को, जनता के लिए है
लोगों की बात ना सुने, इतनी भी ब्यस्त क्यूँ
सोती रही सरकार, चिल्लाती रही जनता
सेवा में लूट, देश की, भरपूर क्यों हुई ?
सोते से लोग, जगने को, मजबूर क्यों हुये
सत्ता के मद में, नेता सब, चूर क्यों हुये ??