हम भी लूटें, तुम भी लूटो, लूटने की आजादी है।
सबसे ज्यादा वो लूटेगा, जिसके तन पर खादी है।
मंदिर-मस्जिद में उलझाओ, लाखों के वादे फेंको,
अस्पताल-स्कूल न मांगे, जो चीजें बुनियादी हैं।
सबसे ज्यादा वो लूटेगा .....
मिल जाते हैं कट्टर दुश्मन, करने को जनता पर राज,
दलित मसीहा उनसे मिलते, जिनको कहते मनुवादी हैं।
सबसे ज्यादा वो लूटेगा .......
वोट इसे दो, जीते दूजा, तीजे की सरकार बने,
आज इलेक्शन करवाना भी, पैसे की बरबादी है।
सबसे ज्यादा वो लूटेगा .....
चुनकर भेजा जिसको हमने, जनता की सेवा में,
सेवक वो मालिक बन बैठा, जनता अब फरियादी है।
सबसे ज्यादा वो लूटेगा....
बन्द लिफाफों की सुनवाई, न्याय की नौटंकी भर हैं,
उनके लिए बंद दरवाजे, जो शोषित आबादी है।
सबसे ज्यादा वो लूटेगा .....
सच बोले तो जेल में ठूँसे, झूठे मौज उड़ाते हैं,
सिसक रहा है संविधान भी, ये कैसी आजादी है।
सबसे ज्यादा वो लूटेगा .....
डरो ना उनसे, जी भर लूटो, चाहे अत्याचार करो,
उफ़ ना करेगी जनता ‘जानी’, वो इन सबकी आदी है
सबसे ज्यादा वो लूटेगा .....