श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे हम
आज सावित्री माई को।
अंधकार अज्ञान मिटाने
लेकर चली पढ़ाई को।
सहा बहुत अपमान उपेक्षा
हिम्मत मगर न हारी ।
किया खूब संघर्ष कि कैसे
पढ़ लिख पाए नारी ।
शीश झुकाते हैं समाज से,
उनकी हुई लड़ाई को।
श्रद्धा सुमन चढ़ाएंगे हम
आज सावित्री माई को।
औरों को उपदेश से पहले,
खुद भी किया पढ़ाई।
फिर सबकी खातिर माता ने
ज्ञान मशाल जलाई।
पिछड़ी-शोषित औरत को
शिक्षा की राह दिखाई जो।
श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे हम
आज सावित्री माई को।
समझाया की शिक्षा है,
समता विकास का मूल।
देश में खोला इसीलिए,
पहला महिला स्कूल।
रूढ़िवाद पीड़ित समाज को
उनकी मिली दवाई को।
श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे हम
आज सावित्री माई को।
उन्नत राष्ट्र बनाने में जो,
नींव बनाया देश का ।
कैसे भूलेगा समाज,
योगदान फातिमा शेख का।
भूल नहीं सकता कोई,
महिला अधिकार लड़ाई को।
श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे हम
आज सावित्री माई को।
अंधकार अज्ञान मिटाने
लेकर चली पढ़ाई को।
श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे हम
आज सावित्री माई को।