Menu

मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

header photo

संसद की कार्रवाई.........

भाषण से मिलता है राशन, भाषण से रोजगार
भाषण सुन सुन करके जनता, सहती अत्याचार

आरोप-आंकड़ो में फँसकरके, घनचक्कर है जनता
सबकी अपनी राय तो है, पर आम राय नहीं बनता

पक्ष विपक्ष दिखाते केवल, बातों में  ही चुस्ती
जनता की चिंता किसको है, लड़ते नूरा-कुस्ती

कुछ ना कुछ होगा अबकी, जनता को ये आशा
पब्लिक  बजा रही है  ताली, नेता  करें  तमाशा

 बैठ के एयरकंडीशन  में, याद गरीब की आई
वाक्युद्ध  से  घटा रहे  हैं,   कागज  में  मंहगाई

ज्यादा भ्रष्ट कौन है? इस पर, होती रोज लड़ाई
नए  नए  मुद्दों  को  लेकर ,  होती   हाथा-पाई

बार बार ही चढ़ा रहे हैं, नेता काठ की हाण्डी
नए  नए  रंगों  में  दिखती, रोज  नयी नौटंकी

Go Back

Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

450;460;d0002352e5af17f6e01cfc5b63b0b085d8a9e723450;460;7bdba1a6e54914e7e1367fd58ca4511352dab279450;460;dc09453adaf94a231d63b53fb595663f60a40ea6450;460;60c0dbc42c3bec9a638f951c8b795ffc0751cdee450;460;69ba214dba0ee05d3bb3456eb511fab4d459f801450;460;f702a57987d2703f36c19337ab5d4f85ef669a6c450;460;f8dbb37cec00a202ae0f7f571f35ee212e845e39450;460;eca37ff7fb507eafa52fb286f59e7d6d6571f0d3450;460;946fecccc8f6992688f7ecf7f97ebcd21f308afc450;460;7329d62233309fc3aa69876055d016685139605c450;460;9cbd98aa6de746078e88d5e1f5710e9869c4f0bc450;460;0d7f35b92071fc21458352ab08d55de5746531f9450;460;fe332a72b1b6977a1e793512705a1d337811f0c7450;460;6b3b0d2a9b5fdc3dc08dcf3057128cb798e69dd9450;460;1b829655f614f3477e3f1b31d4a0a0aeda9b60a7450;460;427a1b1844a446301fe570378039629456569db9450;460;cb4ea59cca920f73886f27e5f6175cf9099a8659

आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

400;300;76eff75110dd63ce2d071018413764ac842f3c93400;300;a5615f32ff9790f710137288b2ecfa58bb81b24d400;300;648f666101a94dd4057f6b9c2cc541ed97332522400;300;40d26eaafe9937571f047278318f3d3abc98cce2400;300;08d655d00a587a537d54bb0a9e2098d214f26bec400;300;b158a94d9e8f801bff569c4a7a1d3b3780508c31400;300;0fcac718c6f87a4300f9be0d65200aa3014f0598400;300;52a31b38c18fc9c4867f72e99680cda0d3c90ba1400;300;9180d9868e8d7a988e597dcbea11eec0abb2732c400;300;f4a4682e1e6fd79a0a4bdc32e1d04159aee78dc9400;300;aa17d6c24a648a9e67eb529ec2d6ab271861495b400;300;e167fe8aece699e7f9bb586dc0d0cd5a2ab84bd9400;300;7a24b22749de7da3bb9e595a1e17db4b356a99cc400;300;ba0700cddc4b8a14d184453c7732b73120a342c5400;300;dde2b52176792910e721f57b8e591681b8dd101a400;300;dc90fda853774a1078bdf9b9cc5acb3002b00b19400;300;2d1ad46358ec851ac5c13263d45334f2c76923c0400;300;02765181d08ca099f0a189308d9dd3245847f57b400;300;24c4d8558cd94d03734545f87d500c512f329073400;300;f5c091ea51a300c0594499562b18105e6b737f54400;300;6b9380849fddc342a3b6be1fc75c7ea87e70ea9f400;300;bbefc5f3241c3f4c0d7a468c054be9bcc459e09d400;300;321ade6d671a1748ed90a839b2c62a0d5ad08de6400;300;3c1b21d93f57e01da4b4020cf0c75b0814dcbc6d400;300;b6bcafa52974df5162d990b0e6640717e0790a1e400;300;f7d05233306fc9ec810110bfd384a56e64403d8f400;300;0db3fec3b149a152235839f92ef26bcfdbb196b5400;300;e1f4d813d5b5b2b122c6c08783ca4b8b4a49a1e4400;300;133bb24e79b4b81eeb95f92bf6503e9b68480b88400;300;7b8b984761538dd807ae811b0c61e7c43c22a972400;300;497979c34e6e587ab99385ca9cf6cc311a53cc6e400;300;611444ac8359695252891aff0a15880f30674cdc

हमसे संपर्क करें

visitor

891456

चिकोटी (ब्यंग्य संग्रह) का विमोचन 2012

400;300;6600ea27875c26a4e5a17b3943eefb92cabfdfc2400;300;acc334b58ce5ddbe27892e1ea5a56e2e1cf3fd7b400;300;639c67cfe256021f3b8ed1f1ce292980cd5c4dfb400;300;1c995df2006941885bfadf3498bb6672e5c16bbf400;300;f79fd0037dbf643e9418eb6109922fe322768647400;300;d94f122e139211ea9777f323929d9154ad48c8b1400;300;4020022abb2db86100d4eeadf90049249a81a2c0400;300;f9da0526e6526f55f6322b887a05734d74b18e66400;300;9af69a9bc5663ccf5665c289fc1f52ae6c1881f7400;300;e951b2db2cbcafdda64998d2d48d677073c32c28400;300;903118351f39b8f9b420f4e9efdba1cf211f99cf400;300;5c086d13c923ec8206b0950f70ab117fd631768d400;300;71dca355906561389c796eae4e8dd109c6c5df29400;300;b0db18a4f224095594a4d66be34aeaadfca9afb3400;300;dfec8cfba79fdc98dc30515e00493e623ab5ae6e400;300;31f9ea6b78bdf1642617fe95864526994533bbd2400;300;55289cdf9d7779f36c0e87492c4e0747c66f83f0400;300;d2e4b73d6d65367f0b0c76ca40b4bb7d2134c567

अन्यत्र

आदरणीय  कुशवाहा जी प्रणाम। कमेन्ट के लिए धन्यवाद ।
मनोज जी, अत्यंत सुंदर व्यंग्य रचना। शायद सत्ताधारियों के लिए भी जनता अब केवल हंसी-मजाक विषय रह गई है. जब चाहो उसका मजाक उड़ाओ और उसी के नाम पर खाओ&...
कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ेगा , जानी साहब. कब तक बहरे बन कर बैठे रहेंगे. कब तक अपने जज्बातों को मरते हुए देखेंगे. आखिर कब तक. देश के हालात को व्यक्त क...
स्नेही जानी जी , सादर ,बहुत सुन्दर भाव से पूर्ण कविता ,आज की सच्चाई को निरुपित करती हुई . सफल प्रस्तुति हेतु बधाई .
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को, एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे? श्री मनोज कुमार जी , नमस्कार ! क्या बात है ! आपने आदरणीय डॉ . बाली से...