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मनोज जानी

बोलो वही, जो हो सही ! दिल की बात, ना रहे अनकही !!

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भारत के भाग्य विधाता बोलो.....

भूंख,  गरीबी, भ्रष्टाचार को, घुट-घुट कर यूं, सहना है?
भारत के भाग्य विधाता बोलो, कबतक यूं चुप रहना है?

महंगाई में पिसकर अब तो,
मेहनत-कश बदहाल  हुये ।
जान-तोड़ मेहनत करके भी,
सपना  रोटी - दाल  हुये ।

फिक्र नहीं है कुछ भी जो हैं,
अफसर,  नेता  और दलाल
देश  गरीब  भले हो लेकिन,
बस  ये  सब हैं मालामाल ।

दिन भर  मजदूरी  करके भी, कब तक भूंखे रहना है?
भारत के भाग्य विधाता बोलो, कबतक यूं चुप रहना है?

मिटा रहे हैं  देश-गरीबी,
बस चुनाव  के नारों में,
अरबपति अब वो ही बनते,
रहते  जो  सरकारों  में,

सारे सुख मिलते हैं केवल
सत्ता  के  गलियारों  में,
नागनाथ या सांपनाथ चुन,
जनता  है  लाचारों  में,

कब तक झूँठे वादों से ही,  भूंखे  पेटों  को  भरना है?
भारत के भाग्य विधाता बोलो, कबतक यूं चुप रहना है?

सिर्फ प्रतीकों में ही केवल,
हम बुराई का नाश करें ।
कन्या-नारी हत्या करके,
नौ देवी में विश्वास करें।


पितरों  को  वनवास  भेज,
हम रामराज्य का गान करें।
धर्म नहीं, घर या बाहर में,
केवल मंदिर में  दान करें।

कबतक रावण के बदले में, केवल पुतलों को जलना है?
भारत के भाग्य विधाता बोलो, कबतक यूं चुप रहना है?

राजनीति को गाली देकर,
कब  तक  दूर  रहेंगे ?
उद्यमियों की नेतागीरी,
कब  तक  और सहेंगे?

राजनीति ब्यवसाय बनाकर,
देश  लूटने  वालों  से
देश आज भयभीत हो रहा,
बस अपने रखवालों से,

कब तक नेता के कर्मों को, सारी जनता को भरना है ?
भारत के भाग्य विधाता बोलो, कबतक यूं चुप रहना है?

कितने भी आधुनिक बनें पर,
जाति, सभी  को  प्यारी है ।
धर्म - जाति के आडम्बर से,
शोषित, अछूत और नारी है।

जाति विरोध है केवल हमको,
शोषित   के   आरक्षण  में,
सदियों से पल रही जातियाँ,
धर्मों    के   संरक्षण   में,

धर्म-जाति के लिए शान से,
बच्चों  की  हत्या कर दें ।
गैर  जाति  में  शादी पर,
मुश्किल उनका जीना कर दें।

सदियों से शोषित वर्गों को, कब तक  शोषित रहना है?
भारत के भाग्य विधाता बोलो, कबतक यूं चुप रहना है?

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Comment

आपकी राय

Very nice 👍👍

Kya baat hai manoj Ji very nice mind blogging
Keep your moral always up

बहुत सुंदर है अभिव्यक्ति और कटाक्ष

अति सुंदर

व्यंग के माध्यम से बेहतरीन विश्लेषण!

Amazing article 👌👌

व्यंग का अभिप्राय बहुत ही मारक है। पढ़कर अनेक संदर्भ एक एक कर खुलने लगते हैं। बधाई जानी साहब....

Excellent analogy of the current state of affairs

#सत्यात्मक व #सत्यसार दर्शन

एकदम कटु सत्य लिखा है सर।

अति उत्तम🙏🙏

शानदार एवं सटीक

Niraj

अति उत्तम जानी जी।
बहुत ही सुंदर रचना रची आपने।

अति उत्तम रचना।🙏🙏

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आईने के सामने (काव्य संग्रह) का विमोचन 2014

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